Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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विशेष – विभिन्न कवित्त एवं वीतराग स्तोत्र आदि हैं।
६००४. गुटका सं० ५६ प
पू० सं० २०३
विशेष – सामान्य पाठों का संग्रह है।
६००५. गुटका सं० ५७ पत्र ०३८०० ६२४४६ भाषा हिन्दी संस्कृत ले० काल सं०] १८४३ चेत बुदी १४ । अपू । ० सं० २७४ ।
१. तीसीसी
२. वीसोबीसी चौप
आदि है
विशेष— भक्तारस्तोत्र, स्तुति, कल्याणमन्दिर भाषा, शांतिपाल, तीन बीबीसी के नाम एवं देव पूजा ६००६. गुटका सं० ५८ पत्र सं० ५६ ॥ श्रा० ६९४ ३० । भाषा - हिन्दी । ले० काल x
पूर्ण
० २०६ ।
आदि है।
१२० ० ४४० भाषा हिन्दी संस्कृत ले० काल X
X
-
श्वाम
हिन्दी
अन्तिल - नाम चौपई ग्रन्थ यह, जोरि करी कवि स्याम ।
,
[ गुटका-संमद
ले० काल सं० १७४९ कार्तिक बुदी ५
जैसराज सुत डोलिया, जीवनपुर तस धाम ॥२२६॥ सतरारी उनवास में, पूरन ग्रन्थ सुभाव
उजली पंचमी, विजे स्कन्धवराज ॥२१
एक बार जे सरद मा रिसि पाठ
नरक नीच गति के विषै, गाढे जडे कपाट ।।२१८|| ॥ इति श्री तीस बोइसी जी की चौपाई ॥
जोधराज
६००७. गुटका सं० ५६ | पत्र सं० ५२ । प्रा० ६x४३ ६० भाषा - संस्कृत प्राकृत | ले० काल X पूर्ण वे० सं० २६३ |
विशेष सोनलबीसी के नाम, भक्तामर स्तोत्र, पंचरत्न परीक्षा की गावा, उपदेश रत्नमाला की गाथा
१० काल १७४६ चैत सुदी १
६००८ गुटका सं० ६० पत्र सं० ३४ प्रा० ६५ ६० भाषा-हिन्दी ले० काल सं० १६४३, पूर्ण ० ० २९३ ॥
१. समन्तभद्रकथा
हिन्दी
२० का १७२२ वैशाख बुदी ७