Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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[ गुटका-संग्रह
६.. श्रीरिष जी को ध्यान धरो
जगतराम गोदीका
हिन्दी
राग रामकली
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६१. प्रात प्रथम ही जपो ६२. जागे श्री ने मिकुमार ६३, प्रभु के दर्शन को मैं प्रायो ६४. गुरुही भ्रम रोग मिटावै ६५. कन कंदरी नेमि पड़ावै ६६, दादू जात न जादी ६७, उतो मेरे प्राण को पियारो
६., राखोजी जिनराज सरन
६६. जिनजी से मेरी लगन लगी
७०. मुनि ही मरज तेरे पायरी
७१, मेरी कौन गति होसी
७२. देखारी नेम केसी रिद्धि पाई
७३. माजि बधाई राजा नाभि के
मुनि विजयकीति
७४. वीतराग नाम सुमरि ७५. या चेतन सब बुद्धि गई
बनारसीदास
क
७६. इस नगरी में किस विध रहना
बनारसीदास
.
.
७७. मैं पाये तुम त्रिभुवन राय
हरीसिंह ७६. ऋषभजित संभव हरपा भ० विजयीति ७६. उठो तेरो मुख देखू
ब्रह्मटोबर ८०. देखोरी आदीश्वरस्वामी कैसा ध्यान लगाया है खुशालचंद
.
१.जै
जै जै जिनराज
লাল
हरीसिंह
रामभगत
5२. प्रभुजी तिहारो कृपा ८३, घकि २ धुम सांगड दि दाना ८४. विषय त्याग शुभ कारज लागो ५५. छवि जिन देखी देवकी
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नवल
फतेहचन्द