Book Title: Prakritpaingalam
Author(s): Bholashankar Vyas, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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१.३९]
मात्रावृत्तम्
वइरि ८ वैरी (ए ८ अइ); देक्खिअ, लेक्खिअ (भूतकालिक कर्मवाच्य कृदंत प्रत्यय 'अ' (इअ)). धरणिणस - ८ गृहिणीनाशः (वर्णविपर्यय के कारण 'ह' का विपर्यय) ।
अह मत्ताणं उद्दिनं,
पुव्व जुअल सरि अंका दिज्जसु । गुरुसिर अंके सेस मेटिज्जसु ।
उवरलअंक लेक्खि कहु आणहु । ते परिधुअ उद्दिट्ठा जाणहु ॥३९॥ [अडिल्ला–अरिल्ला] ३९. मात्राओं का उद्दिष्ट
पहले के युगल अंकों के समान अंक देने चाहिएँ । उसके सिर पर गुरु लिखना चाहिए तथा शेष अंकों को मिटा देना चाहिए । जोड़ के अंक को लिखकर लाओ । इसको उद्दिष्ट समझो ।
व्याख्याकारों ने इस पद्य में किसी मात्रिकगण के प्रस्तारभेद को जानने की कुंजी ऐसे बताई है। मान लीजिये हमें षट्कल के प्रस्तारभेद को जानना है। तो सबसे पहले हम षट्कल में sss तीन गुरु लिख लेंगे। इसके बाद सबसे पहले एक अंक देना है, वह १ होगा । इसका युगल बनाने पर २ अंक होगा। इसमें १ को गुरु के ऊपर तथा २ को गुरु के नीचे लिखेंगे इसके बाद इन दोनों को जोड़कर तीन हुए । यह द्वितीय गुरु के सिर पर तथा २ और ३ के जोड़ ५ को उसके नीचे लिखेंगे । इसी तरह तीसरे गुरु के सिर पर ३ और ५ का जोड़ ८ लिखेंगे तथा बाद में नीचे ५ और ८ का जोड़ १३ लिखेंगे । यही १३ षट्कल के प्रस्तारभेद हुए । इसे इस तरह स्पष्ट किया जा सकता है
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टिप्पणी–दिज्जसु, मॅटिज्जसु,, 'ज्ज' प्राकृत - अप० 'विधि' (लिङ्) (ओप्टेटिव) का चिह्न है । दे० पिशेल $ ४५९, तगारे $ १४१ । 'ज्जसु' विधि म०पु०ए०व० की तिङ् विभक्ति है । तु० वट्टेज्जसु (पिशेल पृ. २२५), भुंजेज्जसु, णिवसिज्जसु, जिणेज्जसु ( तगारे पृ. ३१२) ।
कहावहु, (*/कथापय+ लोट् ) | ( ( कहाव + हु० आज्ञा० म० पु० ए० व०) ।
ट्टे सव्वकला कारिज्जसु । पुव्व जुअल सरि अंका दिज्जसु । पुच्छलअंक मिटावहि सेख । उवरल अंक लोपि कहु लेख ॥ ४० ॥
जत्थ जत्थ पाविज्जइ भाग । एहु कहइ फुर पिंगल णाग ।
परमत्ता लेइ गुरुता जाइ । जत लक्खहु तत लेक्खहु आइ ॥ ४१ ॥ [ पादाकुलक]
४०–४१ इन दो छंदों में मात्रानष्ट को जानने का ढंग बता रहे हैं ।
जिस कलाप्रस्तर की नष्ट मात्रा के संबंध में प्रश्न किया जाय, वहाँ पहले सभी को कला (लघु) बना लें । इसके बाद उक्त क्रम से पहले के समान अंक (१, २, ३, ५, ८, १३) देवें । इसके बाद पीछले अंक को मिटा दे, तथा शेष
३९. अथ मात्रा उद्दिष्टं | आदौ हस्तलेखे - " अत्र मात्राणामुद्दिष्टं । पुव्व-B. पूव्वं । जुअल-D. युगल । मेटिज्जसु C. K. मिटिज्जसु । उवरल–K. उबरल, D. उव्वरिल । अंक-K. अंके । लक्खि कहु आणहु - A. कइ आणह, C. लेखि 'आणह, D. लेखि, K. लेखिख कहाबहु, O. आणह । जाणहु - O. जाणह । ४०. O अथ मात्रानष्टं । णट्ठे -C. णठ्ठे । सरि-C. D. सिर । पुच्छलC. षुच्छल, D. पुछिल, O. पूछल । मिटाबहि-- B. मिट्टावहि, D. मिटावहु, K. मिटावह, O मेटावहि । सेख -C. सेष, D. सेषह । उवरल–D. उव्वरिल, K. अवरल, O. उअरल । लोपि - D. लेखि, C. लेषि, K. लुंपि । लेख - D. लेषह । ४१. जत्थ जत्थ0. जत्थ । पाविज्जइ–C. पाइज्जै । कहइ -C. कहै । फुर - B. फुरु; C. फुट । लेइ - B. ले - N लइ । लक्खहु - C. लेक्खसि तत लेखसि, D. जत देखहु तत लेखहु ० पूछह तत पूछह । आइ -C. आई ।
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