Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
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52 : प्राकृत व्याकरण
'गुहा' शब्द का रूप संस्कृत और प्राकृत में 'गुहा' होता है। 'निलयायाः ' संस्कृत रूप है। इसका प्राकृत रूप निलयाए होता है। इसमें सूत्र संख्या ३- २९ से ङस् याने षष्ठी के एकवचन के स्थान पर 'ए' की प्राप्ति होकर 'निलयाए' रूप सिद्ध हो जाता है ।। १-४२।
लुप्त-य-र-व-श-ष-सां श-ष-सां दीर्घः ।। १-४३ ।।
प्राकृतलक्षणवशालुप्ता याद्या उपरि अधो वा येषां शकारषकारसकाराणां तेषामादेः स्वरस्य दीर्घो भवति ।। शस्य य लोपे । पश्यति । पासइ । कश्यपः । कासवो । आवश्यकं । आवासयं ।। रलोपे । विश्राम्यति । वीसमइ । विश्रामः । वीसामो।। मिश्रम्। मीसं ॥ संस्पर्शः । संफासो ॥ वलोपे । अश्वः । आसो विश्वसिति । वीससइ ।। विश्वासः । वीसासो।। शलोपे। दुश्शासनः। दूसासणो ।। मनः शिला । मणासिला ।। षस्य यलोपे । शिष्यः। सीसो।। पुष्यः। पूसो।। मनुष्यः ।
सो ॥ रोपे । कषकः । कासओ ।। वर्षाः । वासा।। वर्षः वासो । वलोपे । विष्वाणः । वीसाणो ।। विष्वक्। वीसुं ।। षलोपे। निष्षिक्तः। नीसित्तो।। सस्य यलोपे । सस्यम् । सासं ।। कस्यचित् कासइ रलोपे । उम्रः । ऊसो । विश्रम्भः । वीसम्भो।। वलोपे। विकस्वरः । विकासरो ।। निःस्वःनीसो।। सलोपे । निस्सहः । नीसहो । नदीर्घानुस्वरात् (२-९२) इति प्रतिषेधात् सर्वत्र अनादौ शेषादेशयोर्द्वित्वम् (२-८९) इति द्वित्वाभावः॥
अर्थः- प्राकृत व्याकरण के कारण से शकार, षकार और सकार से संबंधित य, र, व, श, ष, स, का पूर्व में अथवा पश्चात् में लोप होने पर शकार, षकार और सकार के आदि स्वर का दीर्घ स्वर हो जाता है। जैसे-शकार के साथ में रहे हुए 'य' के लोप के उदाहरण- इसमें 'श्' के पूर्व में रहे हुए स्वर का दीर्घ होता है। जैसे- पश्यति पासइ । कश्यपः - कासवो । आवश्यकं=आवासयं। यहाँ पर 'य' का लोप होकर 'श्' के पूर्व स्वर का दीर्घ हुआ है।
शकार के साथ में रहे हुए 'र' के लोप के उदाहरण । जैसे - विश्राम्यति वीसमइ || विश्रामः - वीसामो || मिश्रम् - मीसं ।। संस्पर्शः-संफासो।। इनमें 'श्' के पूर्व में रहे हुए स्वर का दीर्घ हुआ है।
शकार के साथ में रहे हुए 'व' के लोप के उदाहरण । जैसे अश्वः = आसो || विश्वसिति = वीससइ || विश्वासः-वीसासो।। इनमें 'श्' के पूर्व में रहे हुए स्वर का दीर्घ हुआ है।
कार के साथ में रहे हुए 'श' के लोप के उदाहरण । जैसे- दुश्शासन:- दूसासणो । मनः शिला मणाः सिला। इसमें भी ' श्' के पूर्व में रहे हुए स्वर का दीर्घ हुआ है।
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षकार के साथ में रहे हुए 'य' के लोप के उदाहरण । जैसे- शिष्यः- सीसो। पुष्यः -पूसो || मनुष्यः - मणूसो । इनमें 'ष' के पूर्व में रहे हुए स्वर का दीर्घ हुआ है।
कार के साथ में रहे हुए 'र' के लोप के उदाहरण । जैसे-कर्षकः- कासओ । वर्षा :- वासा ।। वर्षः = वासो । यहाँ पर 'ष' के पूर्व में रहे हुए स्वर का दीर्घ हुआ है।
षकार के साथ में रहे हुए 'व' के लोप के उदाहरण । जैसे- विष्वाणः-विसाणो ।। विष्वक् = वीसुं। इसमें 'ष' के पूर्व में रहे हुए स्वर का दीर्घ हुआ है।
षकार के साथ में रहे हुए 'ष' के लोप के उदाहरण । जैसे- निष्षिक्तः-नीसित्तो। यहां पर 'ष' के पूर्व में रहे हुए स्वर दीर्घ हुआ है।
सकार के साथ में रहे हुए 'य' के लोप के उदाहरण । जैसे- सस्यम् - सासं । कस्यचित् - कासइ ।। यहां पर 'स' के पूर्व हुए स्वर का दीर्घ हुआ है।
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सकार के साथ में रहे हुए 'र' के लोप के उदाहरण । जेसे उम्र: ऊसो । विस्रम्भः वीसम्भो । यहां पर 'स' के पूर्व में रहे हुए स्वर का दीर्घ हुआ है।
सकार के साथ में रहे हुए 'व' के लोप के उदाहरण । जैसे-विकस्वर:- विकासरो । निःस्वः = नीसो । यहां पर 'स' के पूर्व में हुए स्वर का दीर्घ हुआ है।
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