Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 439
________________ 406 : प्राकृत व्याकरण मअंको मट्ठ बहुत्तं वि (प्रभूतम्) बहुत; १-२३३; २९८१ तल्लीन होता है; १-९४। भेडो वि (देशज) (भेरः) भीरू, कातर, डरपोक; णुमण्णो वि (निमग्नः) डूबा हुआ, तल्लीन हुआ; १-२५१ १-९४,१७४। भेत्तुआण संबक (भित्वा) भेदन करके; २-१४६। न. (मद्यम्) दारू; मदिरा: २-२४। भोअण-मत्ते न (भोजन-मात्र) भोजन-मात्र में; १-१०२।। मज्जाया स्त्री (मर्यादा) सीमा, हद, अवधि, कूल, किनारा; भोअण-मेत्तं न (भोजन-मात्र) भोजन-मात्र; १-८१। २-२४। भोच्चा संब कृ. (भुक्त्वा ) खा करके, पालन करके, भोग मज्जारो पुं. (मार्जारः) बिल्ला, बिलाव; १-२६; २-१३२। करके, अनुभव करके, २-१५। मज्झण्हो मज्झन्न पु. (मध्यान्ह :) दिन का मध्य भाग; भ्रम अक. (भ्रम) घूमना, भ्रमण करना, चक्कर खाना; दोपहर; २-८४. भमिअ संब कृ. (भ्रमित्वा) घूम करके; मए सर्व (मया) मज्झं न. (मध्यम्) संख्या विशेष, अन्त्य और परार्ध्य मुझ से; २-१९९, २०१, २०३। के बीच की संख्या; २-२६, ९०। पुं. (मृगांक:) चन्द्रमा; १-१३८/ मज्झिमो पुं. (मध्यम्) मध्यम; १-४८॥ मइलं वि. (मलिनम्) मैला, मल-युक्त; अस्वच्छ; मंजरो पुं. (मार्जारः) मंजार, बिलाव, बिल्ला; २-१३२। २-१३८) मंजारो पुं. (मार्जारः) मंजार, बिलाव, बिल्ला, बिलाव; मईअ वि (मदीय) मेरा, अपना; २-१४७। १-२६। मउ-अत्तयाइ वि (मृदुकत्वेन) कोमलपन से, सुकुमारता से; मट्टिआ स्त्री. (मृत्तिका) मिट्टी; २-२९। २-१७२। वि न (मृष्टम्) मार्जित, शुद्ध, चिकना; १-१२८। मउअं न. (मृदुकम्) कोमलता; १-१२७। मट्ठा वि (मृष्टाः) घिसे हुए; चिकने किये हुए; २-१७४ । मउडं न. (मुकुटम्) मुकुट, सिरपंच; १-१०७/ मडप्फर (देशज) पुं(गर्वः) अभिमान, अहंकार; २-१७४। मउण न. (मौनम्) मौन; १-१६२। मडयं न. (मृतकम्) मुर्दा, शव, लाश; १-२०६। मउत्तणं न. (मृदुत्वम्) कोमलता; १-१२७। मडह सरिआ वि (हे मृतक-सदृश!) हे मुर्दे के समान; २-२०१। मउरं न (मुकुरम्) मौर (आम मंजरी);बकुल का पेड़, मड्डिओ वि (मृदितः) जिसका मर्दन किया गया हो वह; शीशा; १-१०७। २-३६। मउलणं न (मुकुलनम्) थोड़ी विकसित कली: २-१८४। मढो पुं. (मठः) सन्यासिओं का आश्रम, व्रतियों का मउलं न (मुकुलम्) थोड़ी विकसितंकली; १-१०७। निवास स्थान; १-१९९। मउली स्त्री पुं (मौलिः) मुकुट, बांधे हुए बाल; १-१६२। मणयं अ (मनाक्) अल्प, थोड़ा; २-१६९। मउलो स्त्री पु. (मुकुलम्) थोड़ी विकसित कली; मणसिला स्त्री (मनशिला) लाल वर्ण की एक उप धातु: १-१०७ १-२६। मउवी वि (मृद्वी) कोमलता वाली, २-११३। मणहरं वि. (मनोहरम्) रमणीय, सुन्दर; १-१५६। मऊरो पु. (मयूरः) पक्षि-विशेष; मोर; १-१७१। मणसिला स्त्री (मन-शिला) लालवर्ण की एक उपधातु, मऊहो पुं. (मयूख:) किरण, रश्मि, कान्ति तेज, १-१७१। मैनशील; १-२६। पुं. (मृगः) हरिण; १-१२६। मणसिणी पुंस्त्री (मनस्वी) मनस्विनी, प्रशस्त मंजारो पुं. (मार्जारः) बिलाव, बिल्ला; १-२६। मन वाला अथवा प्रशस्त मन वाली; १-२६, ४४। मंसं न (मांसम्) मांस, गोश्त; १-२९; ७०। मणा अ. (मनाक्) अल्प सा, थोड़ा सा; २-१६९। मंसलं वि (मांसलम्) पुष्ट, पीन, उपचित; १-२९ । मणासिला स्त्री. (मनःशिला) लालवर्ण की एक उपधातु, मंसुल्लो वि (श्मश्रुमान) दाढ़ी-मुंछ वाला; २-१५९। मैनशील; १-२६, ४३। मंसू पुं. न (श्मश्रुः) दाढ़ी मूंछ १-२६; २-८६।। मणि अ. (मनाक्) अल्प, थोड़ा; २-१६९। मग्गओ अ. (मार्गतः) मार्ग से; १-३७। मणुअत्तं न (मनुजत्वम्) मनुष्यता; १-८) मग्गन्ति क्रिया (मगन्ते) ढूंढे जाते हैं, अनुसन्धान किये मणमो पुं. (मनुष्यः ) मनुष्य; १-४३। जाते हैं; १-३४। मणे अ (विमर्श-अर्थक) विचार-कल्पना के अर्थ में मग्गू पुं. (मद्गुः ) पक्षि-विशेष; जल काक; २-७७। प्रयोग किया जाने वाला अव्यय-विशेष; २-२०७। मघोणो देशज पुं. (मघवान्) इन्द्र, २-१७४। मणोजं मणोपणं वि. (मनोज्ञम्) सुन्दर, मनोहर; २-८३ पुं. (मृत्युः) मौत, मृत्यु, मरण; यमराज; १-१३०। मणोसिला स्त्री. (मनःशिला) लालवर्ण की एक उपधातुः मच्छरो मच्छलो वि. (मत्सरः) ईर्ष्यालू, द्वेषी, क्रोधी, १-२६। कृपण; २-२९। मणोहरं वि. (मनोहरम्) रमणीय, सुन्दर; १-२५६। मच्छिआ स्त्री. (मक्षिका) मक्खी; जन्तु-विशेष; २-१७।। मण्डलग्गं न. (मण्डलाग्रम्) मण्डल का अग्र भाग तलवार मज्ज १-३४। णुमज्जइ अक क्रिया (निमज्जति) डूबता है, मण्डलग्गो पुं. (मण्डलाग्रः) तलवार, खड्ग; १-३४। मओ मणंसी म मच्चू Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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