Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 425
________________ 392 : प्राकृत व्याकरण जण्हू जलं जुम्म (जहनः) भरत-वंशीय एक राजा;२-७५ जिण्ह जत्तो अ. (यतः) क्योकि, कारण कि; जिससे, जहां से; २-१६० जित्ति जत्थ अ (यत्र) जहां पर, जिसमें; २-१६१॥ जिब्भा जदो अ (यतः) क्योंकि, कारण कि, जिससे, जहां से; जीअं २-१६०। जीआ सर्व (यत्) जो; १-२४, ४२; २-१८४; २०६। जम (जमो) पुं. (यमः) यमराज; लोक-पाल, देव जीव -विशेष; १-२४५। जिअइ जमलं न. (यमलम्) जोड़ा; युगल; २-१७३। जम्पि-आवसाणे न (जल्पितावसाने) कह चुकने पर; कथन जीविअं समाप्ति पर; १-९१। जीहा जम्पिरो वि. (जल्पन-शीलः) बोलने वाला, भाषक, जुई वाचाल; २-१४५। जम्मणं न. (जन्म) जन्म, उत्पत्ति, उत्पात; २-१७४ । जुगुच्छइ जम्मो न (जन्म) जन्म १-११, ३२; २-६१। जर स्त्री (जरा) बुढ़ापा; १-१०३। जुग्गं न (जल) पानी; १-२३। जुण्ण जलेण न (जलेन) पानी से; २-१५५। जलचरो जलयरो पु. (जल-चरः) जल निवासी जन्तु; जुम्ह १-१७७१ जलहरो पुं (जल-धरः) मेघ, बादल; २-१९८। जुवइ-अणो जवणिज्ज जणीअं वि. (यापनीयम्) गमन करवाने योग्य, जूरिहिइ व्यवस्था करावाने योग्य; १-२४८। जूरन्तीए जसा पुं. (यशस्) यश, कीर्ति १-११, ३२, २४५। जह अ. (यथा) जैसे, १-६७; २-२०४। अं. (यत्र) जहां पर, जिसमें २-१६१ । जहा अ. (यथा) जैसे; १-६७। जहि अ. (यत्र) जहां पर; २-१६१। जहिटिलो पु. (युधिष्ठिरः) पाण्डु राजा का ज्येष्ठ पुत्र; जेण यधिष्ठिर; १-९६, १०७। जहुटिलो पुं. (युधिष्ठिरः) युधिष्ठिर; १-९६, १०७, २४५।। जेत्तिअं जा अ. (यावत्) जब तक; १-२७१। जाइ क्रिया (याति) वह जाता है; १-२४५/ जाण न. (ज्ञान) ज्ञान; २-८३।। जं जामइल्लो पुं (यामवान्) पहरेदार; सिपाही विशेष: २-१५९। जामाउओ पुं. (जामातृकः) जामाता; लड़की का पति १-१३१ । जारिसो वि. (याद्दशः) जैसा, जिस तरह का; १-१४२।। जोओ जारो पुं (जार) व्यभिचारी; उपपति; १-१७७। जोण्हा जाला अ. (यदा) जिस समय में; १-२६९। जोण्हालो जाव अ. (यावत्) जब तक; १-११, २७१ । निज्जअ वि (निर्जित) जीत लिया है; २-१६४। जोव्वणं जिअइ जिअउ क्रिया (जीवति) वह जीवित रहे; १-१०१ जिअन्तस्स वि (जीवन्तस्य) जीवित होते हुए का ३-१८०।। झओ जिण-धम्मो पु. (जिन-धर्मः) तीर्थकर द्वारा प्ररूपित धर्म; झडिलो १-१८७। झत्ति जिण्णे वि (जीर्णे) पचा हुआ होने पर; पुराना होने पर; १-१०२। पुं (जिष्णुः) जीतने वाला; विजयी; विष्णु, सूर्य, इन्द्र; २-७५। वि. (यावत्) जितना; २-१५६। स्त्री. ( जिह्वा) जीभ, रसना; २-५७। न (जीवितम्) जिन्दगी; जीवन; १-२७१: २-२०४। स्त्री. (ज्या) धनुष की डोर; पृथिवी, माता, २-११५। जिअइ अक (जीवति) वह जीता है; १-१०१। जिअइ अक. (जीवति), (जीवति) वह जीता है; वह जीता रहे; १-१०१। न (जीवितम्) जिन्दगी, जीवन; १-२७१। स्त्री. (जिहा) जीभ, रसना; १-९२; २-५७। स्त्री (द्युतिः) कान्ति, तेज, प्रकाश; चमक; २-२४। सक (जुगुप्सति) वह घृणा करता है, वह निन्दा करता है; २-२१॥ न. (युग्मम्) युगल; द्वन्द्व, उभय; २-६२, ७८ । वि (जीर्ण) जूना, पुराना; १-१०२। न (युग्मम्) युगल, दोनों, उभय, २-६२। सर्व (युष्मद्) तू अथवा तुम वाचक सर्वनाम; १-२४६। पुं (युवति-जनः) जवान स्त्री-पुरूष; १-४। अक (खेंत्ष्यति) वह खेद करेगी; २-२०४। कृद (खेदन्त्याः ) खेद करती हुई का; २-१९३ न (जूरणे-खेदे) झूरना करने पर; खेद प्रकट करने पर; २-१९३। अ. (पाद-पूरणार्थम्) छंद की पूर्ति अर्थ में प्रयोग किया जाने वाला अव्यय; २-२१७१ वि (ज्येष्ठतरः) अपेक्षाकृत अधिक बढ़ा; २-१७२। सर्व पु. (येन) जिससे, जिसके द्वारा; १-३६ ; २-१८३॥ जेत्तिलं, जेद्दहं वि (यावत्) जितना; २-१५७/ सर्व स्त्री (या) जो (स्त्री); १-२७१। सर्व न (यत्) जो; १-२४, ४२; २-१८४, २०६। सर्व पुं. (यम्) जिसको; ३-३३। अ. (यत्) क्योंकि; कारण कि; सम्बंध-सूचक अव्यय; १-२४। पुं. (द्योतः) प्रकाश-शील; २-२४। स्त्री (ज्योत्स्नावान्) चन्द्र प्रकाश; २-७५। वि (ज्योत्स्नावान्) चांदनी के प्रकाश सहित; २-१५९। न (योवनम्) जवानी; तारूण्य १-१५९;२-९८१ जूरणे जह जेट्टयरो ... पु (ध्वजः) ध्वजा; पताका; २-२७) वि (जटिल:) जटा वाला; तापस; १-१९४। अ. (झटिति) झट से ऐसा; २-४२॥ दे न (ताम्बूलम्) पान; २-१७४। न पु. (ध्यानम्) ध्यान, चिन्ता, विचार, झाणं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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