Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 418
________________ परिशिष्ट-भाग : 385 ओली ओल्लं ओसढं ओसहं ओसिअंतं ओहलो कई कइअवं कइअवं कइद्धओ कइधओ कइन्दाणं कइमो कइरव कइलासो कइवाहं कई कई कउच्छेअयं कहइ कउरवो स्त्री. (आली) पक्ति; श्रेणी, १-८३। कडणं न (कदनम्) मार डालना; हिंसा, मर्दन, पाप; वि (आर्द्रम्) गीला; भीजा हुआ; १-८२। आकुलता; १-२१७ न. (ओषधम्) दवा; इलाज; भेषज; १-२२७। कडुएल्लं वि (कट तैलम्) तीखे स्वाद वाला, २-१५५। न (ओषधम्) दवा; भेषज; १-२२७।। कणयं न (कनकम्) स्वर्ण; सोना; धतूरा; १-२२८। व कृद, (अवसीदंतम्) पीड़ा पाते हुए को; कणवीरो पुं. (करवीरः) वृक्ष-विशेष; कनेर; १-२५३। १-१०१। कणिआरो पु. (कर्णिकारः) वृक्ष विशेष, कनेर का गाछ; पु. (उदूखलः) उदूखल; गुगल; १-१७१ / गौशाला का एक भक्त; २-९५। कणिटयरो वि (कनिष्ठ तरः) छोटे से छोटा; २-१७२। पु. (कवि) कविता करने वाला विद्वान पुरूष; कणेरू स्त्री (करेणुः) हस्तिनी, हथिनी; २-११६। कवि; २-४० कण्टओ कंटओ पु. (कण्टकः) कांटा; १-३०। वि (कतिपयम्) कतिपय; कई एक; १-२५०। कण्डं कंडन (काण्डम्) विभाग; हिस्सा; १-३० न. (कैतवम्) कपट; दम्भ; १-१५१॥ कण्डलिआ स्त्री. (कन्दरिका) गुफा; कन्दरा; २-३८। पुं. (कपिध्वजः) वानर-द्वीप के एक राजा का नाम: कण्डुअइ सक (कण्डूयति) वह खुजलाता है; १-१२१॥ अर्जुन; २-९०। कण्णिआरो पु. (कर्णिकारः) वृक्ष विशेष; गोशाला का एक पुं. कपिध्वजः) अर्जुन; २-९०। भक्त; १-१६८,२-९५। पुं (कवीन्द्राणम्) कवीन्द्रों का; १-७। कण्णेरो पु. (कर्णिकारः) वृक्ष-विशेष; गोशाला का एक वि (कतमः) बहुत में से कौनसा; १-४८। भक्त; १-१६८ न. (केरवम्) कमल; कुमुद; १-१५२। कण्हो वि (कृष्ण:) काला; श्याम; नाम-विशेष; २-७५ : पु. (कैलासः) पर्वत विशेष का नाम; १-५२। ११० वि (कतिपयं) कतिपय; कई एक; १-२५०। कत्तरी स्त्री (कतरी) कतरनी; कैंची २-३०। पु. (कविः) कविता करने वाला विद्वान्। कत्तिआ पु. (कार्तिकः) कार्तिक महीना; कार्तिक सेठ पुं. (कपिः ) बन्दर; १-२३१॥ आदि; २-३०। न. (कौशेयकम्) पेट पर बंधी हुई तलवार; कत्थइ सक. (कथयति) वह कहता है; १-८७) १-१६२। सक. (कथयति) वह कहता है; १-८७) पु. (कौरवः) कुरू-देश में उत्पन्न हुआ; राजा कत्थ अ. (कुत्र) कहां पर; २-१६१। कौरव; १-१६२। कत्थइ अ. (क्वचित्) कहीं; किसी जगह; २-१७४। पुं. (कौरव) कुरू देश में उत्पन्न हुआ; १-८।। कन्था स्त्री (कन्था) पुराने वस्त्रों से बनी हुई गुदड़ी; पु. (कालाः) जाति विशेष के पुरूषः १-१६२। १-१८७) न (कौशलम्) कुशलता; दक्षता; १-६२। कन्दुटुं न (देशज) (?) नील कमल; २-१७४। स्त्री (ककुभ्) दिशा; १-२१।। कन्दो पुं. (स्कन्दः) कार्तिकेय; षडानन; २-५। न पु. (ककुदम्) बैल के कंधे का कुबड़; सफेद कप्पतरू पुं. (कल्पतरू:) कल्प-वृक्ष; २-८९। छत्र आदि; १-२२५। कप्फलं न. (कट् फलम्) कायफलः २-७७) न (कास्यम्) कांसी-(धात् विशेष) का पात्र; कमढो पुं. (कमठः) तापस विशेष; १-१९९। १-२९,७०। कमन्धो पु. (कबन्ध) रूंड; मस्तक हीन शरीर; १-२३१॥ पु. (कांस्यालः) वाद्य-विशेष; २-९२। कमलं न. (कमलम्) कमल; पद्म; अरविन्द; २-१८२। पं (कास्यिकः) कसेरा; ठठेरा विशेष; १-७०।। कमला स्त्री. (कमला) लक्ष्मी; १-३३। न पुं. (ककुदम्) पर्वत का अग्र भाग चौटी; छत्र कमलाई न (कमलानि) नाना कमल; १-३३। विशेष; २-१७४। कमलवणं न (कमल-वनम्) कमलों का वन: २-१८३। पुं. (कर्कोटः) सांप की एक जाति विशेष; १-२६॥ कमल-सरा पुन (कमलसरासि) कमलों के तालाब। स्त्री (कक्षा) विभाग, अंश, संशय-कोटि; कमो पु. (क्रमः) पाद; पांव; अनुक्रम; परिपाटी; प्रकोष्ठ: २-१७ मर्यादा; नियम; २-१०६। पं (कक्षः) कांख; जल-प्राय देश: इत्यादि: २-१७। कंपइ कम्पइ अक. (कम्पते) वह कांपता है; १-३०, न (कार्यम्) कार्य प्रयोजन १-१७७; २-२४॥ २-३१॥ न. (कार्ये) काम में, प्रयोजन में; २-१८०। कम्भीरा पुं (कश्मीराः) काश्मीर के लोक; २-६०। पं (कञ्चुकः) वृक्ष विशेष कपड़ा १-२५, ३०।। कम्मसं न (कल्मषम्) पाप; वि. (मलीन) २-७१। न (कञ्चुकम्:) कांचली; १-७॥ कम्हारा पुं (कश्मीराः) काश्मीर के लोक; १-१००,२-६०, कृ (कृत्वा ) करके; २-१४६। ७४। न. (काष्ठम्) काठ; लकड़ी; २-३४; ९०। कयं कृद, वि (कृतम्) किया हुआ; १-१२६, २०९, २-११४। कउल कउला कउसलं कउहा कउहं कंसं कंसालो कसिओ ककुधं कंकोडो कच्छा कच्छो कज्ज कज्जे कञ्चुओ कञ्चुअं कटुं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454