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आभारप्रदर्शन
प्रस्तुत लेखनके लिए भ० स० श्रीदासराम महाराज केलकरजीके शुभाशीर्याद हैं । मूलग्रन्थ में से कुछ तान्त्रिक शब्दोंका स्पष्टीकरण मा० प्रा० डॉ० प० ल० वैद्यजी ने अतिस्नेहभावसे किया; मैं उन्हें धन्यवाद देता हूँ । मेरे इस अनुवाद में से हिन्दी भाषाका सुधार और जाँच कार्य विलिंग्डन महाविद्यालय के हिन्दी के प्रधान प्राध्यापक श्री अ० अ० दातारजीने बड़ी आस्थापूर्वक अपना बहुमूल्य समय खर्च करके किया है जिसके लिए मैं उनका अत्यन्त आभारी हूँ । इस ग्रन्थ के कुछ अन्य कार्य में सहायता करनेवाली मेरी क्त्नी सौ० मायादेवी तथा मेरा पुत्र श्री नारायण इनकाभी मैं आभारी हूँ । इस लेखनकार्य में जिन पूर्वसूरियोंके ग्रन्थोंका मुझे उपयोग हुआ उन सबका में ऋणी हूँ । चौखम्भा संस्कृत संस्थान इस ग्रन्थको प्रकाशित कर रहा है; इसलिए उसके पदाधिकारियोंका में अत्यन्त ऋणी हूँ ।
सम्भव है कि इस ग्रन्थ में कुछ त्रुटियां और मुद्रणदोष रहे होंगे। वे क्षमादृष्टिसे देखे जाएँ ऐसी प्रार्थना है ।
सांगली
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के० वा० आपटे
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