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के डर से मगध-प्रान्त के नालन्दा-कुण्डलपुर को महावीर की जन्मभूमि प्रचारित करनेवाले लोग विदेह-कुण्डपुर में महावीर की जन्मभूमि बतानेवालों को नरक-निगोद भेजने के फतवे दे रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि वैदिकों के द्वारा माने गये जगत्-सृष्टा ईश्वर को इन्होंने अपनेआप में मान लिया है, और उसी अहं भाव से ये सोच रहे हैं कि इनके कहने मात्र से सत्य को स्वीकार करनेवाले नरक-निगोद चले जायेंगे।
जब उन्हें गंगा के उत्तरवर्ती विदेह में महावीर के जन्म की बात प्रामाणिकरूप से बताई गयी, तो वे ठिठाई के साथ बोले कि नदियों की धारा अपना स्थान बदलती रहती है, हो सकता है कि पहले गंगा-नदी के उत्तर में ही मगध प्रान्त में नालन्दा-कुण्डलपुर रहा होगा। ऐसी कल्पनाओं के आधार पर ही यदि सत्य का निर्णय होना है, तो मध्यप्रदेश के दमोह जिले में स्थित कुण्डलपुर' को भी महावीर की जन्मभूमि कहा जा सकता है; क्योंकि नाम तो उसका भी कुण्डलपुर' ही है। क्या ही अच्छा हो कि इस पूर्वाग्रही अप्रमाणिक प्रलाप को बन्द कर सत्य को स्वीकार करें, और नालन्दा-कुण्डलपुर के जीर्णोद्धार की योजना भले ही चलायें, किन्तु उसे 'महावीर की जन्मभूमि' कहकर समाज को दिग्भ्रमित न करें, और उसकी आस्था का धनादोहन करने की कोशिश न करें।
मेरा उनसे विनम्र अनुरोध है कि इतिहास और भूगोल के तथ्यों को स्वीकार कर समाज में फैल रहे भ्रामक-वातावरण को दूर कर स्वस्थ और निर्धान्त-वातावरण का निर्माण करें, ताकि समाज की सक्रियता विकास के नये आयाम स्थापित कर सके।
___ मैं तीर्थंकर ऋषभदेव के सौ पुत्रों के नाम पर स्थापित भारत के विभिन्न राज्यों का भी प्रामाणिक अनुसंधान करना चाहता हूँ। और इस दिशा में कार्य भी कर रहा हूँ, किन्तु किसी बड़े पुस्तकालय का अभाव और अपेक्षित संसाधन न होने से यह कार्य शीघ्र सम्पन्न नहीं हो पा रहा है। यदि ऐसे संसाधन मिलें तो मैं न केवल यह कार्य, अपितु जैन-संस्कृति, इतिहास और भूगोल आदि के क्षेत्र में और भी अनेकों महत्त्वपूर्ण अनुसंधान करना चाहता हूँ। किन्तु क्या मात्र चावल चढ़ाने और विधान-पूजन कराने में ही अपने धन का उपयोग माननेवाली इस जैनसमाज से मुझ जैसे अनुसंधाताओं को कभी कोई अपेक्षित संसाधन मिल सकेंगे? कृपया समाज के कर्णधार इस क्षेत्र में विचार करें। सन्दर्भग्रन्थसूची 1. द्र, मार्कण्डेयपुराण : सांस्कृतिक अध्ययन, पादटिप्पण सं० 1, पृष्ठ 138 । 2. विष्णुपुराण, 1/1271 3. स्कन्धपुराण, 1/1/37/55। 4. विशेष द्रष्टव्य, 'भरत और भारत' नामक पुस्तक, प्रकाशक—कुन्दकुन्द भारती, नई दिल्ली। 5. नगेन्द्रनाथ बसु, हिन्दी विश्वकोश, भाग 1, पृष्ठ 151। 6. डॉ. ओमप्रकाश प्रसाद, प्राचीन भारत, पृष्ठ 108 । 7. सं. के.ए. नीलकण्ठ शास्त्री, नंद-मौर्य-युगीन भारत, पृष्ठ 352।
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प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक
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