Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 04
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ है। उसके बचपन में जरूर कुछ न कुछ गलत हो गया होगा। उसके पालन-पोषण में कुछ गलती रही होगी। बच्चे और मां के बीच, या बच्चे और पिता के बीच के संबंध में जरूर कुछ गड़बड़ी रही होगी । जरूर कहीं न कहीं कुछ न कुछ गलत रहा है, बच्चे के परिवेश में ही कुछ न कुछ गलत रहा है। हम सांयोगिक घटनाओं को ही खोज रहे हैं। कारण भीतर है। योग का यह प्राथमिक कदम है, कि तुम अभी भी गलत दिशा की तरफ देख रहे हो, गलत दिशा में खोज रहे हो इसीलिए तुमको सही मदद नहीं मिल सकेगी। तुम उदास हो, क्योंकि तुम उदासी के प्रति सचेत नहीं हो। तुम अप्रसन्न हो, क्योंकि तुम अप्रसन्नता के प्रति होशपूर्ण नहीं हो। तुम दुखी हो, क्योंकि तुम नहीं जानते हो कि तुम कौन हो। अन्य सभी बातें तो सांयोगिक घटनाए हैं। अपने भीतर देखो तुम दुखी हो, क्योंकि तुम अभी स्वयं से मिले नहीं हो, तुम स्वय को ही चूक रहे हो। और जो पहली बात है करने की, वह है 'धारणा' । मन में बहुत सारी चीजें पड़ी रहती हैं, मन एक भीड़ है। उन सभी बातों को एक - एक कर के गिरा देना, अपने मन को सिकोड़ते जाना, और मन को सिकोड़ते- सिकोड़ते वहां तक ले आना जहां केवल एक ही विषय शेष रहे। क्या तुमने कभी किसी चीज पर एकाग्रता को साधा है? एकाग्रता का अर्थ है, पूरा का पूरा मन एक ही जगह केंद्रित हो जाए। मान लो किसी गुलाब के फूल पर मन को एकाग्र किया। के गुलाब फूल को हम बहुत बार देखते हैं, लेकिन फिर भी कभी पूरा ध्यान गुलाब पर केंद्रित नहीं होता। अगर गुलाब के फूल पर दृष्टि एकाग्र हो जाए, तो गुलाब का फूल ही संपूर्ण संसार बन जाता है। मन सिकुड़ता जाता है, सिकुड़ता जाता है, अंत में टार्च की रोशनी की तरह एक ही जगह पर केंद्रित हो जाता है, और वह गुलाब का फूल बड़े से बड़ा होता चला जाता है। जब गुलाब अन्य हजारों लाखों चीजों में से एक चीज था तुम्हारे लिए, तब वह बहुत छोटा सा था। अब वही गुलाब का फूल सब कुछ है, समग्र संसार है। अगर तुम अपना ध्यान एक गुलाब के फूल पर केंद्रित करो, तो वह गुलाब ऐसी ऐसी गुणवत्ताओं को उदघाटित करेगा जिन्हें तुमने पहले कभी नहीं देखा था। उसमें ऐसे – ऐसे रंग दिखाई देंगे जिन्हें तुमने पहले कभी नहीं देखा था। उस गुलाब में से ऐसी सुगंध आएंगी, जो कि मौजूद तो पहले से ही थीं, लेकिन उन्हें अनुभव करने के लिए संवेदनशीलता नहीं थी । अगर गुलाब के फूल पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित किया जाए तो नासापुटों में केवल गुलाब की ही सुगंध रह जाती है – चेतना से और . सभी कुछ हट जाता है, केवल गुलाब ही रह जाता है। चेतना से जैसे सब कुछ अलग हो जाता है, सारा संसार बाहर छूट जाता है, केवल गुलाब ही संसार बन जाता है। बौद्ध साहित्य में एक बड़ी सुंदर सी कथा है। एक बार बुद्ध ने अपने एक शिष्य सारिपुत्त से कहा, हंसी के ऊपर ध्यान केंद्रित करो। सारिपुत्त ने पूछा, मैं ऐसा किसलिए करूं?' बुद्ध बोले, तुम्हें किसी

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 505