________________ नित्य नियम पूजा तुम विन मैं व्याकुल भयो, जैसे जल बिन मीन / जन्म जरा मेरी हरो, करी मोहि स्वाधीन // 11 // पतित बहुत पावन किये, गिनती कौन करेव / अंजनसे तारे प्रभु, जय जय जय जिनदेव / / 12 / / थकी नाव भवदधि विषै तुम प्रभु पार करेय / खेवटिया तुम हो प्रभु, जय जय जय जिनदेव / 13 / / राग सहित जगमें रुल्यो, मिले सरागी देव / वीतराग भेट्यो अबै, मेटो राग कुटेर / / 14 // कित निगोद कित नारकी, कित तिथंच अज्ञान / आज धन्य मानुष भयो, पायो जिनवर थान / 15 // तुमको पूजे सुरपति, अहिपति नरपति देव / 'धन्य भाग्य मेरो भयो करन लग्यो तुम सेव / / 16 / अशरणके तुम शरण हो, निराधार आधार / मैं डूबत भवसिंधु में, खेओ लगाओ पार / / 17 / इन्द्रादिक गणपति थके, कर विनती भगवान / 'अपनो विरद निहारकै कीजे आप समान // 18 // तुमरी नेक सुदृष्टित, जग उतरत है पार / हा हा डुब्यो जात हो, नेक निहार निकार / 19 / जो मैं कहहूँ और सों तो न मिटे उरभार / मेरी तो तोसौं बनी, तातें करौ पुकार / 20 / / वन्दी पांचो परम गुरु सुर गुरु वन्दत जास : विधन हरन मंगल करन, पुरन परम प्रकाश // 21 //