Book Title: Nitya Niyam Puja
Author(s): Digambar Jain Pustakalay
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 233
________________ 224 ) नित्य नियम पूषा कलि कुण्ड पार्श्वनाथ पूजा। सबके मध्य लिखा ह्रींकार फिर चहुँ ओर ब्रह्म अक्षर / उसके बाद लिखा स्वर खींवों आठ वज्र रेखा दुर्द्धर // 1 // प्रणव वज्र रेखा आगे है मध्य अनाहत युगल लिखा / ह-भ-म-र-घ'झ-स-ख पिंड युक्त जिनवणे सहित संशुद्ध लिखा पीछे वेष्टित किया यथाविधि यही मन्त्र कलिकुण्ड महान / ‘पर कृत विघ्न निवारक है अरु चोर डाकिनी नाशक जान 3 जो मंत्रज्ञ डाम से इसको कांस्य पात्र में लिखते हैं / करते हैं श्री खण्ड लेख जो उनको सन्मुख मिलते हैं // 4 // दोहा-रोग शोक नाशक विमल, सिद्ध सु महिमावान / ___ करू शुद्ध संस्थापना, श्री कलिकुण्ड महान / / ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहं कलिकुण्डदण्ड श्री पार्श्वनाथ धरणेन्द्र पद्मावती-सेवित अतुल-बलवीर्यपराक्रम सर्वविघ्नविनाशक / अत्र अवतर 2 संवौषट आह्वाननं / अत्र तिष्ठ 2 ठ ठः स्थापनं / अत्र मम सन्निहितो भव 2 वषट् सन्निधिकरणं / शुभ तीर्थ गंगा नदी द्रह पद्माद्विपै मैं जाय के / शीतल सुगंधित ओर शुद्ध पवित्र जल भर लायके / / दुष्ट कृत्य उपसर्ग नाशक एक ही जिन. नाथ को / मैं पूजता हूँ भाव से कलिकुण्ड पारस नाथ को // ॐ ह्रीं श्रीं ऐं अहं कलिकुण्डदण्ड श्री पार्श्वनाथ धरणेन्द्र 'पद्मावती सेविताय अतुलबलवीर्य-पराक्रमाय सर्वविघ्नविनाशनाय

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