Book Title: Nitya Niyam Puja
Author(s): Digambar Jain Pustakalay
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 254
________________ ..नित्य नियम पूजा........................ 245.. जो अहिच्छत्र हृदयसे ध्यावे, सो नर उत्तम पदवी पावे। पुत्र संपदाकी बढती हो, पापोंकी इक दम घटती हो। है तहसील आंवला भारी, स्टेशन पर मिले सवारी / रामनगर इक ग्राम बराबर, जिसको जाने सब नर नारी। चालीसेको ‘चन्द्र' बनाये, हाथ जोड़कर शीश नवाये / // सोरठा // नित चालीसहिं बार, पाठ करे चालीस दिन / खेय सुगन्ध अपार, अहिच्छत्र में आयके / होय कुबेर समान जन्म दरिद्री होय जो। जिसके नहिं संतान, नाम वंश जगमें चले / / श्री महावीर चालीसा ( शमशाबाद नि० कवि० पूरनमल कृत ) // दोहा / सिद्ध समूह नमों सदा, अरु सुमरू अरहन्त / निर आकुल निवाँच्छ हो, गए लोकके अन्त / / मङ्गल मय मङ्गल करन, वर्धमान महावीर / तुम चिंतत चिंता मिटे, भव हरो सकल भव पीर / ॥चौपाई // महावीर दयाके सागर, जय श्री सन्मति ज्ञान उजागर / / शांत छवि मरति प्यारी, वेष दिगम्बरके तुम धारी // कोटि भानुसे अति छवि छाजे, देखत तिमिर पाप सब भाजे / महापति अरि कर्म विदारे, बोधा मोह सुभटसे मारे।

Loading...

Page Navigation
1 ... 252 253 254 255 256 257 258