Book Title: Nitya Niyam Puja
Author(s): Digambar Jain Pustakalay
Publisher: Digambar Jain Pustakalay
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________________ 246 ] नित्य नियम पूजा काम क्रोध तजि छोडो माया,क्षणमें मान कषाय भगाया। रागी नहीं, नहीं तू द्वेषो, वीतराग तू हित उपदेशी / प्रभ तुम नाम जगतमें सांचा, सुमरत भागत भूत पिशाचा / राक्षस यक्ष डाकिनी भागे, तुम चिंतत भय कोई न लागे / महा शूलको जो तन धारे, होवे रग असाध्य नबारे / व्याल कराल होय फगधारी, विषको उगल क्रोध कर भारी महाकाल सम करै डसत्ता, निर्विष करो आप भगवन्ता / महामत्त गज मदको झार, भगै तुरत जब तुझे पुकारै / फार डाढ़ सिंहादिक आवं ताको हे प्रभु तुहीं भगावै / होकर प्रबल अग्नि जो जारै, तुम प्रताप शीतलता धारै / शस्त्र धार अरि युद्ध लडन्ता, तुम प्रसाद हो विजय तुरन्ता। पवन प्रचण्ड चलें झकझोरा, प्रभु तुम हरी होय भय चौरा / झार खण्ड गिरि अटवी माहीं,तुम बिनशरण तहां को उनाहीं वज्रपात करि धन गरजावै, मसलधार होय तडकावै / होय अपुत्र दरिद्र संताना, सुमिरत होत कुबेर समाना / बन्दीगृहमें बन्धी जंजीरा, कठ सुई अनिमें सकल शरीरा / राजदण्ड करि शूल धरावै, ताहि सिहासन तुही विठावै / न्यायाधीश राजदरबारी, विजय करे होय कृपा तुम्हारी / जहर हलाहल दुष्ट पियन्ता, अमृत सम प्रभु को तुरन्ता / चढ़े जहर, जीवादि डसन्ता निविपक्ष में आप करता !

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