Book Title: Nitya Niyam Puja
Author(s): Digambar Jain Pustakalay
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 237
________________ 228] नित्य नियम पूजा अति क्रुद्ध जीभ मुहँ दांत फाड, यमराज समान रहा दहाड / मृग सम होता है वह मृगेश, मनमें भजते जो जन जिनेश / 2 खुल रहे केश काले कराल, बहु रहा लाल आंखे निकाल / बनता प्रसन्न वह व्यंतरेश मनमें भजते जो जन जिनेश 3 / बहु भीषण जल वरसे दुरुह, तट अधिक हुआ जल का समूह / गोखुर प्रमाग होता जनेश, मनमें भजते जो जन जिनेश / 4 सिर चमक रही मगिका महान त्रयोलोक क्षोभ कारण महान नहीं डरता क्रूरभृजंगनेश, मनमें भजते जो जन जिनेश / 5 / जहां तीव्रज्वाला माला प्रसार, धत तेल हवा सेदुगुणझार / वह शांत होय जिन तारकेश, मनमें भजते जो जन जिनेश 6 पड जेल बन्धे जंजीर डार, बन्धु जिनके रोते अगार / वे छूट अभय पाते अशेष मनमें भजते जो जन जिनेश 17 / फंस रहा मनुज रिपु चाल बीच वह संकट कष्ट अनेक कीच असि कमलवेन नहिं हो क्लेश,मनमें भजते जो जन जिनेश / 8 दोहा। होते सुर असुरेश सब, अरु विद्याधरराज / वशमें उनके सर्वदा सुमरत जो जिनराज / ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐ कलिकुण्डदण्ड श्रीपार्श्वनाथाय धरणेन्द्र पद्मावती-सेविताय अतुलबलवीर्य-पराक्रमाय सर्वविघ्नविनाशनाय हम्व्य भव्य मम्व्यर रम्य धाव्य इम्लव्य सम्हय् खम्व्यहँ जन्मजरामृत्यु विनाशनाय अर्घ नि० स्वाहा।

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