Book Title: Nitya Niyam Puja
Author(s): Digambar Jain Pustakalay
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 247
________________ 238 ] - नित्य नियम पूजा शामाके आंखोंके तारे, सुमित्रके राज दुलारे, पैठण में प्रगटे प्रभो, मङ्गल होवे-विभो-आनंदसारा // 1 // राजगृही प्रभु आये, चारो कल्याणिक मन भाये, पावन भूमि जहां, सम्मेदगिरि महान, निर्वाणपद थारा // 2 // सुर-नर-मुनि आये, प्रभु तव गुण सब गाये, सम्यक् ज्योति जगे अष्ट कर्म नशे, जिनेश प्यारा ||3 // अंजनसे पापी तारे, राजा श्रीपालका कष्ट निवारे, मेटो जामन मरण, कर दो दुखका हनन्. मुनिसुव्रत प्यारा / 4 भाव भक्तिसे शीस नवाऊ', प्रभु तव पद कैसे पाऊ, 'राहो' व्याकुल खडा, तेरे चरणों पडा,कर दो भव पारा // 5 // -x पद्मप्रभ चालीसा शीश नवा अहंतको सिद्धन करू प्रणाम / उपाध्याय आचार्यका ले सुखकारी नाम / / सर्व साधु और सरस्वती जिन मंदिर सुखकार / पद्मपुरीके पद्मको मन मन्दिरमें धार // जय श्रीपद्मप्रभु गुणधारी,भवि जनको तुम हो हितकारी / देवोंके तुम देव कहाओ, छ? तीर्थङ्कर कहलाओ / तीन काल तिहुँ जगकी जानो, सब बाते क्षगमें पहचानो / वेष दिगम्बर धारण हारे, तुमसे कर्म शत्रु भी हारे / /

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