Book Title: Nitya Niyam Puja
Author(s): Digambar Jain Pustakalay
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 235
________________ 226 ] नित्य नियम पूजा ASANA इनकी शांति हेतु मैं शांत जु भाव से, पूजू श्री कलिकुण्ड प्रभु अति पावसे / / ॐ ह्रीं श्रीं ऐं अहँ कलिकुण्डदण्ड श्रीपार्श्वनाथाय धरणेन्द्र पद्मावतीसेविताय अतुलबलवीर्य-पराक्रमाय सर्वविघ्नविनाशनाया हम्ल्व्य्र मल्व्यर्थी म्म्व्यरु रम्व्यम्लव्य इम्लव्य स्म्ल्व्य खम्त्व्यर अनर्घ पदप्राप्तये अर्घ नि० स्वाहा / स्तुति देवेन्द्रों से पूजित हो, सर्वज्ञ जिनेश्वर हो भगवान ; सदुपदेश जिनवर तुम मैं प्रणाम करता गुणगान / सर्व विघ्न विनाशक हो प्रभुवर तुम हो सद्गुण की खान / विनती करता नाथ आपकी, हो नायक कलिकुण्ड महान 1 नित्य भक्ति पूर्वक निज मनमें याद किया जो हैं करते / अपनी शक्त्यानुसार प्रार्थना करके मंत्र जपा करते।। पूजा करते भक्तिभाव से यंत्रराज की जो गुणगान / पूर्ण हुआ करती है उनकी, मनोकामना निश्चय जान 21. भक्ति जि-हों यंत्रराज में, है उनको सब सुख मिलता ! उनके घरमें कल्प वृक्ष, मानों उत्पन्न हुआ करता / अथवा प्रगट होत चिंतामणि, रत्न चिन्त्य वस्तु दाता। या फिर मानव मनोरथोंके हेतु कामधेनु पाता / 3. देवासुर से वंदित है जो रत्न पात्र में लिखा गया / रत्नत्रय आराधन का कारण है जो सुना गया /

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