Book Title: Nitya Niyam Puja
Author(s): Digambar Jain Pustakalay
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 234
________________ मिल्य निवम पूजा [ 225 हम्व्य मल्ल्य्म्म्ल्व्य रमल्व्यम्ल्व्य इम्ल्व्यसै सम्व्या खम्ल्व्यहँ जन्मजरामृत्यु विनाशनाय जलं नि० स्वाहा। अतिगंध से जिस नै लुभाते भ्रमर नित्य अनेक हैं। वह मलयागिरिका दाहनाशक शद्ध चंदन एक हैं दुष्ट. चंदनं चन्द्र के सम शुक्ल स्वच्छ अखंड शालि बनाय कै। अविनाशि पदकी प्राप्तिहेतु अनिंद्य तंदुल लायकै दुष्ट.।अक्षतं मंदार अरु बकुलादि के रमणी पुष्प मंगाय कै। सरमें प्रफुल्लित कमल कुसुम सुगंधसी महकायकै दुष्ट.पुष्र्ण ताजे बनाये विविध घृत रसपूर्ण व्यंजन लायक। अति स्वच्छ सुन्दर कनक भाजनमें उन्हें रखवायकै दुष्ट.नैवेद्यं जगका प्रकाशक तम विनाशक कनकमय दीपक धरु। बहु जगमगाते ज्योतिमय अति अलितसे पूजा करु दुष्ट.दीर्ण कपूर चंदन अगुरु काष्ठादिक अनेक मंगायकै / अति गंध युक्त अनूप धूप दशांग को बनवायकै ।दुष्ट. धूप गोला छुहारे दाख पिस्तादिक अनेक सुलायक / मोक्षका अभिलाष कर रमणीक फल मंगवायकै ।दुष्ट.फलं। जल गंध अक्षत पुष्प चरु फल दीप धूप मिलायकै। वसु अर्घ से कलिकुण्ड पूजू हर्ण भाव बढायकै दुष्ट, अध।। अडिल्ल छन्द सूर्य चन्द्र मंगल बुध गुरु अरु शक है, राहू केतु शनिश्वर नवग्रह चक्र है /

Loading...

Page Navigation
1 ... 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258