Book Title: Nitya Niyam Puja
Author(s): Digambar Jain Pustakalay
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 232
________________ नित्य नियम पूजा [ 223 फिर आत्म ध्यानमें भये लीन, लहि केवल कीने कर्म छीन // कीनों विहार भारत जु बर्ष, यह पुण्य धरा प्रगटी प्रत्यक्ष / धर्मोपदेश से भव्य तार, आये सम्मेद शिखर पहार / / तहां योग नियोग किये जु सार,पहुँचे प्रभु मोक्ष महल मंझार यह पंचम दुखमा काल जान, हुई धर्म कर्म सबकी जु हान / इस नगर तिजारा मध्य खेत, देहरा पवित्र सुन्दर सुक्षेत्र / श्रावण शुक्ला दशमी अनूप, वर वार बृहस्पति शुभ स्वरूप / / सम्वत् तेरह दो सहस वर्ष मध्याह्न समय अभिजित मुहूर्त / जिन प्रगट भये अतिशय सरुप, दिखलाया अपना दिव्यरूप प्रभु के दर्शन लख कटत पाप,सुख शांति मिलित तुमनाम जाफ सब भूत प्रेत भयभीत होय,डर कर भागत हैं नमत तोय / अरु दुख अनेक जाते पलाय, जो भाव सहित प्रभुको जु ध्याय उनके संकट टरते न कोय विन भाव क्रिया नहीं सफल होय अव अरज सुना मेरी कृपाल मैं भव दुख दुखिया हे दयाल मत देर करो सुनिये पुकार, दुष्ट अष्ट करम मेरे निवार / धत्ता-श्रीचन्द्र जिनेशं दुख हर लेतं, सब सुख देतं मनहारी / गाऊं गुणमाला जग उजियाला,कीति विशाला सुखकारी / / ॐ ह्रीं देहरेके श्रीचंद्रप्रभ जिनेन्द्राय महाघ नि० स्वाहा / दोहा-देहरे के श्रीचन्द्र को, मन बच तन जो ध्याय / ऋद्धि वृद्धि होवे 'सुमति' संकट जाय पलाय / / इत्याशीर्वादः।

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