________________ नित्य नियम पूजा [ 171 कृपा तिहारी ऐसी होय, जाम्न मरन मिटावो मोय / बार बार मैं विनती करूं, तुम सेवा भवसागर तरु। 15 / / नाम लेत सब दुख मिट जाय तुम दर्शन देख्यो प्रभु आय / तुम हो प्रभु देवनके देव मैं तो करू चरण तब सेव / / 16 / / जिन पूजा तें सब रख होय, जिन पूजा सम और न कोय / जिन पूजा ते स्वर्ग विमान, अनुक्रमते पा. निर्वाण ||17 // मैं आयो पूजनके काज, मेरो जन्म सफल भयो आज / पूजा करके नवाऊ शिश, मुझ अपराध क्षमहु जगदीश // 18 दोहा-सुख देना दुख मेटना, यही तुम्हारी बान / मो गरीब की बीनती, सुन लिज्यो भगवान // 19 // पूजन करते देव की, आदि मध्य अवसान / सुरगनके सुख भोग कर, पावै मोक्ष निदान // 20 // जैसी महिमा तुम विर्षे और धरै नहिं कोय / जो सुरज में ज्योति है, तारण में नहिं सोय // 21 // नाथ तिहारे नामते अघ छिनमांहि पलाय / ज्यों दिनकर प्रकाशते, अन्धकार विनशाय // 22 // बहुत प्रशंसा क्या करूं मैं प्रभु बहुत अजान / पूजाविधि जानू नहीं शरण राशि भगवान // 23 // इस अपार संसार में शरण नाहिं प्रभु कोय / याते तब पद भक्तको भक्ति सहाई होय ॥२४॥इति।।.