Book Title: Nitya Niyam Puja
Author(s): Digambar Jain Pustakalay
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 213
________________ 204 ] नित्य नियम पूजा पंच द्वि भेदा यथाक्रमं प्रागध्यानात् ।२१।आलोचना-प्रतिक्र-- मण-तदुभयविवेकव्यु-सर्गतपश्छेद-परिहारोपस्थापनाः 22 / ज्ञान दर्शन चारित्रोपचाराः / 23 / आचार्योपाध्याय तपस्त्रि शैक्ष्यग्लान गण कुल संघ साधु मनोज्ञानाम् / 24 / वाचना पृच्छनानुप्रेक्षाम्नाय धर्मोपदेशाः / 25 बाह्याभ्यन्तरोपध्योः / 26 उत्तम संहननस्यैकाग्र चिंता-निरोधो ध्यानमान्त मुहू. त्तात् / 27 आर्तरौद्र-धर्म्य शुक्लानि / 28 / परे मोक्षहेतू / 29 आर्तममनोज्ञस्य संप्रयोगे तद्विप्रयोगाय स्मृति समन्याहारः।३० विपरीतं मनोज्ञस्य / 31 / वेदनायश्च / 32 // निदानं च 33 / तदविरत-देशविरत-प्रमतसंयतानाम् / 3 / / हिंसानृत-स्तेय-विषयसंरक्षणेभ्यो रौद्रमविरत देशविरतयोः / 35 आज्ञापाय-विपाक-संस्थान विचयाय धर्म्यम् / 36 / शुक्ले चाद्ये पूर्वविदः / 37 परे केवलिनः / 38 / पृथक्वेकत्ववितर्क-सूक्ष्मक्रियाप्रतिपाति व्युपरत-क्रियानिवर्तीनि 39 / त्र्येकयोग काययोगयोगानाम् / 40 एकाश्रये सवितर्कवी. चारे पूर्वे / 41 / अबीचारं द्वितीयम् 42 / वितर्कः श्रुतम् / 43 / विचारोऽर्थव्यंजन योग-संक्रांतिः / 44 सम्यग्दृष्टि श्रावक विर. तानंतवियोजक-दर्शनमोहक्षपकोशमकोपशांत मोह-क्षपकथीणमोहजिनाः क्रमशोऽसंख्येयगुण-निर्जराः / 45 / पुलाकवकुश कुशील निग्रंथ स्नातकाः निग्रंथाः।४६ संयम-श्रत प्रति.. सेवना तीर्थ लिंग-लेश्योपपाद स्थान विकल्पतः साध्याः / 47 इति तत्त्वार्थाधिगमे मोक्षशास्त्रो नवमोऽध्यायः / / 9 / /

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