________________ नित्य नियम पूजा [211 ले तन्दुल अमल अखंड, थाली पूर्ण भरो। अक्षय पद पावन हेतु हे प्रभु पाप हरो || बाडा के०॥ ह्रीं श्री पद्मप्रजिनेन्द्राय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतान् नि० / ले कमल केतकी वेल, पुष्प धरु' आगे। प्रभु सुनिये हमरी टेर, काम कला भागे / / बाडा के० // ॐ ह्रीं श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्राय कामबाणविध्वांशनाय पुष्पनिक नैवेद्य तुरत बनवाय, सुन्दर थाल सजा। मम क्षधारोग नश जाय, गाऊं वाद्य वजो / बाडा के०॥ ॐ ह्रीं श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्राय क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्य निक हो जगमग 2 ज्योति, सुन्दर अनियारी / ले दीपक श्री जिन चन्द, मोह नशे भारी ||बाडा के०॥ ॐ ह्रीं श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्राय मोहान्धकारविनाशनाय दीपनि ले अगर कपूर सुगन्ध चन्दन गन्ध महा। खेवत हों प्रभु ढिंग आज, आठों कर्म दहा ||बाडा के०।। ॐ ह्रीं श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्राय अष्टकर्मदहनाय धूप नि / श्रीफल बादाम सुलेय केला आदि धरे / फल पाऊ शिव पद नाथ, अरपू मोद भरे बाडा के०it. ॐ ह्रीं श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्राय मोक्षफलप्राप्तये फल नि० / जल चंदन अक्षत पुष्प नेवज आदि मिला। मैं अष्ट द्रव्य से पज, पाऊ सिद्ध शिला / / बाडा के०॥ ह्रीं श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्राय अनर्धपद प्राप्तये अर्ध नि B.