________________ 180 / नित्य नियम पूजा . पंचपरमेष्ठीकी आरती यह विधि मंगल आरती कीजे, पंचपरमपद भजि सुख लीजे प्रथम आरती श्रीजिनराजा, भवदधि पार उतार जिंहाजा // 1 दूजी आरती सिद्धनकेरी सुमिरन करत मिटत भवफेरी // 2 // तीजी आरति सूरि सुनींद्रा जन्ममर दुख दूर करिंदा // 3 // चौथी आरती श्री उवझाया, दर्शन होवत पाप पलाया // 4 // पांचवी आरती साधु तुम्हारी,कुमतिविनाशन शिव अधिकारी छट्ठी ग्यारह प्रतिमाधारी, श्रावक वंदो आनंदकारी / सातमी आरती श्री जिनवाणी, सेवत स्वर्ग-मुकतिसुखदानी। पूजा करके आरती कीजे, जनम-जनमका लाहो लीजे / / जो यह आरती पढ़े पढ़ावे, धानत अजर अमर पद पाने / / पद्मावति माताकी आरतो पद्मावति माता दर्शन की बलिहारियां / पार्श्वनाथ महाराज विराजे मस्तक ऊपर थारे / इन्द्र फणीन्द्र नरेन्द्र सभी खड़े रहे नित द्वारे पद्मावति / जो जिय थारो शरणों लींनो सब संकट हर लीनो। पुत्र पौत्र धन संपति देकर मंगलमय करि दीनो // 2 // डाकिन शाकिन भूत भवानी नाम लेत भग जावे / वात पित्त कफ रोग मिटे अरु तन मन सुख हो जावे // 3 // दीप धूप अरु पुष्पहार ले मैं दर्शन को आया / दर्शन करके माता तुम्हारे मनवांछित फल पाया।