________________ 70 ] . नित्य नियम पूजा अथ जयमाला / छन्द त्रिभंगी / वंदू ऋषिराजा, धर्मजहाज, निजपरकाजा करत भले / करुणाके धारी, गगन बिहारी दुःख अपहारी भरम दले // काटत जमफदा भविजन वृन्दा, करत अनंदा चरणनमें / जो पूजे ध्यावै मंगल गावै फेर न आवै भववनमें / / 1 / / पद्धरि छन्द जय श्रीमनु मुनिराजा महंत त्रस थावरकी रक्षा करंत / जय मिथ्यातम नाशक पतंग, करुणारसपूरित अंग अंग। 2. जय श्रीस्वमनु-अकलंकरूप, पद सेव करत नित अमर भूप / जय पंच अक्ष जीते महान, तप तपत देह कंचनसमान / 3 जय निवय सप्त तत्वार्थ भास, तप-रमातनों तनमें प्रकाश / जय विषयरोध संबोध भान, पर परणति नाशन अचल ध्यान जय जयहि सनसुन्दर दयाल, लखि इन्द्रजालवत जगत जाल जय तष्णाहारी रमण राम, निज परणतिमें पायो विराम / / 5 जय आनंदघन कल्याणरूप, कल्याण करत सबको अनूप / जय मद नाशन जयवान देव, निरमद विचरत सब करत सेव।६ जय जयहि विनयलालस अमान, सब शत्रु मित्र जानत समान जय कृषितकाय तपके प्रभाव, छबि छटा उडति आनंददाय / 7 जय मित्र सकल जगके सुमित्र, अनगिनत अधम कीने पवित्र जय चंद्रवदन राजीव-नैन, कबहूँ विकथा बोलत न बैन / 8. जय सातों मुनिवर एक संग, नित गगन गमन करते अभंग। जय आये मथुरापुर मंझार, तहं मरिरोगको अति प्रचार // 9