________________ 150 ] नित्य नियम पूजा जय जय नमिदेव दयाल संत, जय नेमनाथ प्रभु गुण अनन्त जय पारस प्रभु सङ्कट निवार, जय वर्द्धमान आनन्दकार / / नवग्रह अरिष्ट जब होय आय, तब पूमैं श्रीजिनदेव पाय / मनबच तन सब सुख सिंधु होय, ग्रहशांति रीत यह कही जोय ॐ ह्रीं सर्वग्रहारिष्ट निवारक श्री चतुर्विशतितीर्थंकर जिनेंदाय पंचकल्याणक प्राप्ताय अघी निर्मपामीति स्वाहा / दोहा-चौबीसो निदेव प्रभु, ग्रह सम्बन्ध विचार ! पुनि पूजों प्रत्येक तुम, जो पाऊ मुखसार : इत्याशीर्वादः। रक्षा बन्धन पूजा ( श्री विष्णुकुमार पूजा) अडिल्ल छन्द विष्णकुमार महामुनि का ऋद्ध भई : नाम विक्रीया तास सकल आनन्द ठई / सो मुनि आये हथनापुर के बीचमें। मुनि बचाये रक्षा कर वन बीच में 1 तहां भयो आनन्द सर्व जीवन धनी / जिमि चिन्तामाणे रत्न एक पायो मनो / सब पुर जै नै कार शब्द उचात भये / मनि को देय आहार आप करते भये // 2 // ॐ ह्रीं श्री विष्णुकुमार मुनि अत्रावतराबतर संवौषट् आह्वाननं / अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः / अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणं /