________________ नित्य नियम पूजा. [73 तन्दुल धवल मुगन्ध अनूप पूजौं जिनवर तिहुँ जग भूप। परमगुरु हो, जय जय नाथ परमगुरु हो // दरशवि०॥३॥ ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्धयादि-षोडशकारणेभ्यो अक्षतं नि / फुल सुगन्ध मधुप गुजार पूजौं जिनवर जग आधार / परमगुरु हो जय जय नाथ परम गुरु हो दरशवि०॥४॥ ॐ ह्रों दर्शनविशुद्धयादि षोडशकारणेभ्यः पुष्पं निर्व० / सद नेवज बहु विधि पकवान, पूजौं श्रीजिनवर गुणखान / परमगुरु हो जय जय नाथ परमगुरु हो / दरशवि० // 5 // ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्धयादि-षोडशकारणेभ्यः नैवेद्यं नि० / दीपक ज्योति तिमिर छयकार पूजू श्रीजिन केवल धार / परमगुरु हो, जय जय नाथ परमगुरु हो ॥दरशवि० / / 6 // ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्धयादि-षोडशकारणेभ्यः दीपं निर्व० / अगर कपूर गन्ध शुभ खेय, श्री जिनवर आगे महकेय / परमगुरु हो, जय जय नाथ परमगुरु हो / / दरशवि०॥७॥ ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्धयादि-षोडशकारणेभ्यः धूपं निर्व० / श्रीफल आदि बहुत फल सार, पजौं जिन वांछितदातार / परमगुरु हो, जय जय नाथ परमगुरु हो / दरशवि०।८॥ ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्धयादि-षोडशकारणेभ्यः फलं निर्व० / जल फल आठों द्रव्य चढाय, 'द्यानत' परत करो मनलाय / परमगुरु हो, जय जय नाथ परमगुरु हो ॥दरशवि० // 9 // ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्धयादि-षोडशकारणेभ्यः अध्यं निर्व।