________________ 112 ] नित्य नियम पूजा जय सुमति 2 दाता जिनन्द, जयकुमति तिमिर नाशनदिनंद / जय पद्मालंकृत पद्मदेव, दिनरैन करहूँ तब चान सेव / / जय श्री सुपार्श्व भव पास नाश, भवि जीवनकू दियो मुक्तिवास' जय चंद जिनेश दया निधान, गुणसागर नागर सुख प्रमान जये पुष्पदंत जिनवर जगीश. सतइन्द्र नमत नित आत्मशीश जय शीतल वच शीतल जिनंद, भवताप नशावत जगतवन्द जय जय श्रेयांस जिन अति उदार, भविकंठ मांहि मुक्तासुहार जय वासुपूज्य बासव खगेश, तुम स्तुतिकर पुनि नमि हमेश। जय विमल जिनेश्वर विमलदव, मलरहित विराजत करहूँ सेव जय जिन अनंतके गुण अनंत कथनी कर गगधर लहे न अंत / जय धर्म धुरंधर धर्मधीर, जय धर्म चक्र शुचि ल्याय वीर / जय शांत जिनेश्वर शांतिभाव, भववन भटकत शुभमग लखाव जय कुन्थु कुन्थुवा जीव पाल सेवक पर रक्षा करि कृपाल / जय अरहनाथ अरि कर्मशैल, तपवज्र कांड 2 लहिमुक्ति गैल जय मल्लि जिनेश्वर कर्म आठ, मल डारे पायो मुक्ति ठाठ / जय सुव्रत मुनि व्रत धरन्त, जय सुव्रत व्रत पालत महन्त / जय नमिय नमत सुरवृन्द पाय पद पंकज निरखत शीशनाय / जय नेमि जिनेन्द्र दयानिधान, फैलायो जग में तत्वज्ञान / / जय पारस जिन आलस निवारि उपसर्ग रुद्र कृत जीतधारि। जय महावीर महाधीरधार, भव कूप थकी जग ते निकार / / जय वर्गआठ सुन्दर अपार, तिन भेद लखत बुध करतसार / जय परमपूज्य परमेष्ठि सार, जिन सुमरत वरसे मोड धार /