________________ नित्य नियम पूजा........................[ 71. जय जय तिनचरणनिके प्रसाद सब मरी देवकृत भईवाद / जय लोककरै निर्भय समस्त, हम नमत सदा नित जोड़हस्त / जय ग्रीषमऋतु परवत मंझार, नित करत अतापन योगसार जय तषापरीषह करत जेर, कहुँ रंच चलत नहीं मनसुमेर / 11 जय मूल अठाईस गुणनधार, तर उग्र तपत आनंदकार / जय वर्षाऋतुमें वृक्षतार, तह आत शीतल झेलत समीर / 12 जय शीतकाल चौपट मंझार. कै नदीसरोवर तट विचार / जय निवसत ध्यानारुढ होय रं वकनहि मटकत रोम कोय 13 जय मृतकासन वज्रासनीय, गोदून इत्यादिक गनीय / जय आसन नानाभांति धार, उपसर्ग सहत ममता निवार 14 जय जपत तिहारो नाम कोय, लख पुत्र पौत्र कुलवृद्धि होय / जय भरे लक्ष अतिशय भंडार,दारिद्र तनों दुःख होय छार 15 जय चो अग्नि डाकीन. पीशाच, अरुईति भीतिसब नसतसांच जय तुम सुमरत सुखलहत लोक, सुरपुर नप्रत पद देत धोक छन्द रोला / ये सातों मनिराज, महातप लछमी धारी। परम पूज्य पद धरे, सकल जगके हितकारी। जो मन वच तन शुद्ध होय सेवे औ ध्यानै / सो जन ‘मनरंगलाल' अष्टऋद्धिनको पावै / / 17 / / दोहा-नमन करत चरनन परत अहो गरीबनिवाज / पंच परावर्तननित, निरवारो ऋषिराज // 18 // ह्रीं श्रीमन्वारादि-चारण-ऋद्धिधारी सप्तऋषिभ्यः पूर्णाऱ्या निक