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आदि । संघ गुरु भगवन्तों के इस उपकार के लिए हृदय से आभारी है। श्रीमान् बस्तीमल जी सा. सालेचा ने पूज्य गुरुदेव को सुनाने की कृपा की। अतएव उनका भी संघ आभारी है।
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- इस द्वितीय आवृत्ति के आर्थिक सहयोगी स्वर्गीय दानवीर श्री वल्लभचन्दजी सा. डागा, जोधपुर के पाँचों पुत्र रत्न सर्वश्री हुकमचन्दजी सा., इन्द्रचन्दजी सा., प्रसन्नचन्दजी सा., विमलचन्दजी सा., ऋषभचन्दजी सा. डागा है। सभी पुत्र रत्न धार्मिक संस्कारों से संस्कारित और अपने पूज्य पिताश्री के पद चिह्नों पर चलने वाले हैं। सभी की भावना है कि सेठ सा. द्वारा जो शुभ प्रवृत्तियाँ चालू थी वे सभी निरन्तर चालू रखी जाय । तदनुसार आगम प्रकाशन के आर्थिक सहयोग में भी आप सदैव तैयार रहते हैं। मेरे निवेदन पर आप सभी ने इस प्रकाशन के आर्थिक सहयोग के लिए स्वीकृति प्रदान कर उदारता का परिचय दिया। इसके लिए समाज आपका आभारी है। आपकी उदारता एवं धर्म भावना का संघ आदर करता है। आपने प्रस्तुत आगम पाठकों को अर्द्ध मूल्य में उपलब्ध कराया। उसके लिए संघ एवं पाठक वर्ग आपका आभारी है।
: यद्यपि संघ के संरक्षक श्रावक शिरोमणि तत्त्वज्ञ सुश्रावक श्री जशवन्तलाल भाई शाह, मुम्बई का आदेश है सम्पूर्ण " आगम बत्तीसी” उनके ही सहयोग से अर्द्ध मूल्य में प्रकाशित हो, पर डागा परिवार का अत्यधिक आग्रह होने से इस प्रकाशन में आपका सहयोग लिया गया। आपकी उदारता एवं धर्म भावना का संघ आदर करता है। आपने प्रस्तुत आगम पाठकों को अर्द्ध मूल्य में उपलब्ध कराया। उसके लिए संघ एवं पाठक वर्ग आपके आभारी हैं। आप चिरायु हो तथा शासन प्रभावना में. सहयोग प्रदान करते रहें, इसी शुभ भावना के साथ ।
प्रथम आवृत्ति अप्राप्य होने पर यह द्वितीय आवृत्ति प्रकाशित की जा रही है । यद्यपि कागज और मुद्रण सामग्री के मूल्यों में निरन्तरवृद्धि हो रही है एवं इस पुस्तक के प्रकाशन में जो कागज काम में लिया गया है वह श्रेष्ठ उच्च क्वालिटी का मेपलिथो, बाईंडिंग पक्की तथा सेक्शन बावजूद इसके डागा परिवार के आर्थिक सहयोग के कारण इसका अर्द्ध मूल्य मात्र बीस रुपया ही रखा गया है। जो अन्यत्र स्थान से प्रकाशित आगमों से अति अल्प है। सुज्ञ पाठक बंधु इस द्वितीय आवृत्ति का अधिक से अधिक लाभ उठावें ।
इसी शुभ भावना के साथ !
ब्यावर (राज.) दिनांकः ४-४-२००६
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संघ सेवक नेमीचन्द बांठिया
अ. भा. सु. जैन सं. र. संघ, जोधपुर
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