Book Title: Nandi Sutra Tika
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsuri Gyanmandir नंदी टीम तदेतन्मिष्याथुतं मे क्तिमित्यादि अकिंततसादिसपर्यवमितमनादि अपर्यवसितंच तत्र सहपादिनावर्तते इति मादितथा पर्यवसानं पर्यवसिस भावे क प्रत्ययः सहपर्यवसितेन वन ते इति सपर्यवसितं पादिरहितमनादिनपर्यवसितमपर्यवमित आचार्य पाच इत्येतत्वादशांगं गणिपिटकं कोत्यत्ति न यहयाए इत्यादि व्यवस्थितिप्रतिपादनपरोनयो व्यवस्थितिनयः पर्यायास्सिकनय इत्यर्थः तस्याओं व्यवस्थितिनयार्थः पर्यायाइत्यर्थः तस्य भाको व्यवस्थित्तिनयार्थता * तया पर्यायापेक्षया इत्यर्थः किमित्याह सादिसपर्यवसितं भारकादिभवपरिणत्यपेक्षया जीवडूव अव्युस्थिति नयट्ठयाएइति अव्यवस्थितिप्रतिपादनपरोन चेवसम्मत्तमयं काहासम्मत्तउत्तणोजम्हाते मिच्छद्दिहियातेहिं चेवससमएहिं चोड्यासमाणा केईसपक्वदिहोश्रो चयंति सेतंमिच्छ पुयंसेकिंतं स इयंसपज्जवसिय अणायंअपज्जवसियंडच्चे यं वालसंगंगणिपिडगंवोच्छित्तिनयट्टयाए साधुसपन्नसियं अवच्छित्तिन्यट्याए अगाइयंअपज्जवसियसमासो चउबिहंपणतंतंजहादब्बोखेतोकालो स) तेभिय्य त्वोन समकितने सन्मुख पणेममकितने हेतेप्रणमे गुरु उत्तरकहेछ ज जिमभणीते मि० मिथ्यादृष्टीने ते० तेहीजचे निश्चयम० भारथा*दि पापणाई जपोताने शास्त्र करी चोद्योप्रे खोथको के कोई एक मिथ्यादृष्टीते म० स्वपक्षनीहट्टीतेपोतानोमतो तेव० छोडे ते सुकदेव अंबडर स्कंध कसिन्यासीयांनी परिपरिवार समकितपणि समकित भावपणे प्रण मे से० तेकि० केहवामो मि० मिथ्यासत्रकह्या मा० आदिसहित अने स० ते अंत सहितकम पादिरचित प.तरचितमुखते गहनो विचारगुरुकहके ए. एप्रत्यक्ष पर्वोक्त कााते. बारचंग पाचार्थनापेटीसमानके वो विरह मीन: नयनार्थ आधीजोईये तोसा. आदिसहितछे स० अंतसहितछे एतलेपांचभरतादिके भने प० अविरह पाश्रीते जेविरहनयी तेयात्रीको 器業养器器器装諾基苯基苯苯器能装器, 器器器梁諾紫梁諾業器端器热器器諾諾諾器器器狀 भाषा For Private and Personal Use Only

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