Book Title: Nandi Sutra Tika
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsur Gyanmandir नंदी टी. *** MEENTER पंच आख्यायिकोपाख्यायिकाशतानि सर्वसंख्यया पञ्चविंशतिकोटिशतं इहानवज्ञाताध्ययनसंबंधाख्यायिकादि मदृशाथा: भाख्यायिकादय: पञ्चायलच्याधि के कविंशतिकाटिशतप्रमाणाव : अस्मात् पञ्चविंशतिकोटिशतप्रमाणाद्राशेः शोध्यन्ते ततः शेषा अपुनरुक्ता: अई चतुर्थाकथानककाव्यो भवन्ति तथाचाह - एषमेव उक्तप्रकारेणेव गुणि गोधने च कृते सप्तपूर्वापरेण पूर्वश्रुतस्कन्धाऽपरबतस्कन्धाकथाः समुदिता: अपुनरुक्ता अड्डडाइत्ति अईचतुर्थाः कथानक * कोटयो भवन्तीत्याख्यातं तीर्थंकरगणधरैः आतच टीकाकृत् पणु पौस कोडिसयं एत्ययसमलखाइगाजम्हा नवनायासंबड्वा अक्खाइयमाइयानेणं 1 तासोहिज्जति फुडंइमाउरासीत वेगलाणंतु पुणरत्तवज्जियाणं पमाणमेयं विगिदि 2 तथानायाधम्मकहाणं परित्ताबाई या इत्यादि सर्व प्राग्वद्भाव ___वरेणं अवाओ कहाणगकोडीयो हवंतित्ति मक्खायं नायाधम्मकहाणं परित्तावायणासंक्विज्जाअणुबोगदारा लक्यापनासं चेष बोधया 2100000 एवं कएसमाणे अधिगयसतम्म पत्यावो 1 तथादेस धम्म कहाणं गोतत्यए गमेगारं धम्मक हा एवंच र याक्खाइयास याई एगमेगाए अक्वाइयाए पंचसयाई पंचएगमेगाए उवक्बाइया पंचर पख्याइया सयाए तेएसर्वएकठाकीधा तिवारे किस्व थयोपणवीमकोडीसयंतेह इम 25000.... एह पंचवीसकोडि यांकमांहि थी पाहिलांक एकवीस कोडि पंचवीस लाख पुणवक्तपणा माटे बाहिरकाढीय ते साढी तीन # कोडिबाई ने माटेते कहेछ सर्वनो संभव नही तिहां एकेकी चाताई एकेक पाख्यातीने विषे पेतालीसर अधिक आख्यायिकानासडू कडाकह्याछे ए० एकेक ज लवणवाड्याने विषे पं० पांच पांचसे म०पयाड्याना उ उपख्याइयानास सदूकडाछे एक इम करतां इहां पु० पुर्वलापाछला सर्वकरीने म० साढी विणि को कोडि क कथा भाषा 紫米米諾諾米諾諾諾諾諾諾聖業業諾器 灘業業業紫羅器兼羅器蓋著紫羅諾號靠靠靠靠 For Private and Personal Use Only

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