Book Title: Nandi Sutra Tika
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Page 468
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsuri Gyanmandir * 港業糕體業職職叢叢叢叢叢叢叢黑柴柴柴柴柴響 जोगाभव इति तच्च परिकर्मसिद्ध श्रेणिका परिकर्मादि मूलभेदा पेक्षया सप्तविधं माल्टका पदाद्युक्तरभेदा पेक्षया त्यशीतिविधतच्च सम्लोजरभेदं सकल * मपि सूत्रतोऽर्थ तश्च व्यवच्छिन्न यथागतसंप्रदायतो वाच्य एतेषां च सिङ्घश्रेणिका परिकादीनां सप्तानां परिकर्माणामाद्यानि घट्परिकर्माणि स्वसमय वक्तव्यतानुगतानिखसिद्धांत प्रकाशकानीत्यर्थः येनगोशालिकाप्रवर्तिता आजीविका:पापंडिनसन्मतेन च्युतश्रेणिका परिकर्मसहितानिसप्तापि परिकर्माणि प्रज्ञाप्य ते संप्रत्येष्वेव परिका सनयचिंता तत्व नया: सप्तनै गमादयः नैगमोपिद्विधा सामान्य ग्राहीविशेषग्राही च तत्र यः सामान्यग्राही स संग्रह प्रविष्टो यस विशेषग्राही स व्यवहारं पाहच भाष्य कत्जोसामन्नगाही मनेगमो संगहं उअक्षवा इयरोववहारं मिउजो तेण समाण निह सार शब्दादयश्च होसंसारपडिग्गहो नंदावतविष्यजहणावत सेतंविष्मजहणसेणियापरिकम्म सेकिंतं चुयशचुयसेणियापरिकम्मे चुय अचयसेणियापरिकम्मे एकारसविहे पपत्त तंजहा पाढोत्रामासपयाकेउभ्यं रासिबद्ध एगगुणं दूगुणंतिगुणकउभ्यं पडिग्गहो संसारपडिग्गहो नंदावत्तं चुयाचुयावत सेतंचुयाचुयचउक्नई सत्ततेरासियाई सेतं सेणियापरिकम्म तीना परिकर्म ते विशेषछे छोडवानी०६ चु० चुताचुत श्रेणिनीगणतिना परिकर्म७ एहवा अर्थ गुप्त भाग थको मा० आसीस दे इमारका पद एक #ए° एक स्थित पदते एकार्थ पदर अ० अर्थ पादपद३ पा० पादपद 4 ए° दृग्यारे प्रकारे प. परुयात. ते जिमले तिम कहेछे से तेए चु० चुताच्युत श्रेणिकाय परिकम ते एक एहना यर्थ गुरु थकी जागवा 0 धरनाक परिकम च० च्यारनये करी सहितके संग्रह व्यवहार 2 ऋजसत्व शब्द 4 एहवा 4 च्यारनये प्रतिवहछे सं० सात परिकर्म विरासिक मतो से तेए परिकर्मना भेद कह्या परि कर्म ग्रंथ मु० मुवना 2 वा. 22 वावीस भेद प० 未器器狀諾諾諾業業業张张张器器张器業罪罪諾課業器 For Private and Personal Use Only

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