Book Title: Nandi Sutra Tika
Author(s):
Publisher:
View full book text
________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नंदी टी० * एवौचाएतयहोइसव्य त्ये इयएगंतरियाई सिवगदूसबट्टाचाई। एवमसंखेज्जा उचित तर गंडियामुणेब्वा जाजियससुरावा अजिवजिणपिया समुष्पमा४ तथा अमरेत्यादि विविधेषु फरिवन भवचमधेषु जंबनामवगम्यते अमरनरतिर्यग् निरवगमनं एवमादिकागडिका वह भाख्यायसेत्त * गंडियाणुयोगेसोयं गंडिकानुयोग: सेकिन्तमित्यादि भयकाका चाइचूलाशिखरमुच्यते यथामेरौचलाइव चलादृष्टिवादे परिकर्म सवपूर्वानुयोगोनु *नार्थ संग्रहपराग्रंथपतयः तयाचाहचूर्णिकृत् दिष्टियाएवं परिकन्नसुत्त पुवाणुयोगेचुलियं नभणियंतं चूलासुभणियंतिपत्रसूरिराड चूलाआदिमानांचत * पूर्वाणांथेषाणिपूर्वाण्य चूलकानिताएवच्ला आदिमानांचतुर्णा पूर्वाणांप्राक्पूर्व वक्तव्यता प्रस्तावेचूलावस्तुनौतिभरिणताआय च कृत् ताउयचूलाउनाडू लपुम्बाणंचउपहचूलवत्यूभणियाएताच सर्वस्यापि दृष्टिवादस्यो परिकिल्लस्थापितास्तथैव चपद्यतेतत: श्रुतपर्वते चलाइवराज सेति चलाइत्युक्ताः तथाचोक्त चूर्णिकृतामव्युपरिट्टियापढिज्जति ययतोतेसुवपुव्यय चूलाइव चूलाइति तासांचू चलानांडूय संख्या प्रथम पूर्वसनाचतम्स: हितीय पूर्वसनाद्वादश टतीय पूर्वसक्ता अष्ठौचतुर्थपूर्वसनादश तथा च पूर्वमुक्तासूत्रे चत्तारिदुवालस अट्टचेवदस चेव चलावत्यूणि अइजाणंच उगहंसेसाणं चूलियानत्यि? सर्वसंख्यया यस्मणं परित्तावायणा संखिज्जाणुयोगदारा संखिज्जावेटा संखिज्जासिलोगा संखिज्जाबोनिउजुत्तोश्रो संखिज्यायो पडिबत्तोश्रो संखिज्जाबो संगहणोश्रो सेणंअंगठ्ठयाएवारसमेअंगे एगेसुयक्वधे चोद्दसपुष्वासंखिज्जावत्थूसंखिज्जा / * विशेष उपदेचर अग्यांन३ वषाण४ एथार अनुयोगहार कच्या सं संख्याता वे० तेहंद रूपगाथा 1 सं० संख्याता सि शोक तेगाथादिक सं० संखाती प० पंकति रुप समासरुप वा वार सो प.पंग च० चलदे पु० पुर्वके सं० संख्याती वस्तुचे 25 सं० संख्याती च० चुन तेनाली व० वस्तुले सं० सांख्यात 素諾諾諾諾諾諾諾器器業調器器業器 भाषा For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512