Book Title: Nandi Sutra Tika
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Page 493
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नंदी टी. 5 सूत्र 身業業業業要聚苯業職業業装器装叢茶器端器灘器装器 सांप्रतमत्र वदृष्टांतमाह सेजहानामए इत्यादि तद्यथा नामपंचास्तिकाया धर्मास्तिकायादयः न कदाचिन्नासीदित्यादि पुवबदेवमेवेत्यादि निगमनं निगद सिद्धसेसमासतो इत्यादि तत्वायांगसमासतश्चतुर्विध प्रज्ञप्तं तद्यथाद्रव्यत: क्षेवत: कालतो भाक्तश्च तत्व द्रव्यतोणमिति वाक्यालंकारे श्रुतनानी उपयुक्तः सर्वव्याणि जानाति पश्यति अवाह ननु पश्यतीति कथं नहि श्रुतज्ञानौश्रुतज्ञान यामि सकलानि वस्तु नि पश्चति नैषदोष उपमाया पत्र विवक्षित पश्चात् पश्यतीवर पश्यति तथाहि मेवादीन्पदार्थान दृष्टानप्यावीर्य शिष्य भ्य पालिख्य दर्थयति ततस्तेषां श्रोटणांएवं बहिरूप जायते भगवानेष गणीसाक्षा त्पश्यन्निवश्याचष्टे एवं क्षेत्रादिष्वपि भावनौयं ततोनकञ्चिदोष: अन्ये तु न पश्यतीति पठंति सब चोद्यस्थामवकाश एवं श्रुतज्ञानोवेशभिन्न दशपूर्वधरादि नकयाइन भविस्मद् भुविंचभवय भविस्मय धुवेनियए सासएअक्खए अव्वएअवट्टिएनिच्चे सेसमासत्रोचउबिहे परमत्ते तंजहा दवनोखेत्तयो कालबोभावो तत्थदव्वयोणंउवउत्ते मुयनाणीसबदबाजाणपासइखेत्तत्रोणंउवउत्ते सुयना अतीतकाले एल्यो कदे न वो किवार पस्तिकाय न हुती इम नही न० वर्तमान काल एसयो न० नहुये न० पागले एहयो काल किवारे भु० एह पंचास्तिकाय भ० वर्तमानकाले भ० भागलि इकाल होस्ये धु० निश्चलले मेरुनिपरे नि० सर्वक्षेत्र पाश्री मा. सदाभाव साखताछे पंच अस्तिकायनी * परे प० एरुपदार्थ मा बिनासिजे भ० अवस्थितके नि० सदासर्वदा वर्तता नित्यछे दु० हादसांगौ 12 अंग ग. प्राचार्यनी न० अतीतकाले न० बर्त मान न नही हुवे न मागे एहवोकालकदेकिवारे होइस्चेन हौजेए१२ अंग नही होखे भुल्हता पूर्व भ०हिवडाछे भागले काले होस्ये धु० निश्च लछे नि सर्वखेत्र आत्री सामाखताचे सर्व द्रव्य कुणजाणे देखेतीर्थ करउत्तर कहछे हेगोतमचउदेपूर्वधरले तेश्रुत मानने उपयोगकरीने जाणे देखे 國灣柴柴業狀黑黑黑黑業器端米諾諾諾諾器端端帶業 भाषा For Private and Personal Use Only

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