Book Title: Nandi Sutra Tika
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Page 455
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirtm.org Acharya Shri Kallassagarri Gyanmandir नंदी टी नीर्य यावचिगमनं नवरं संख्येवानि पदमत्स्राणि पदाग्रेण पदपरिमाणन तानि च पञ्चलक्षाः घट्सप्ततिसहसाः पदमपि चात्र प्रौपसर्गिकं निपातिक नामकमाख्याति मिथंचे तिवेदितव्य तथाचार चर्णिरुत् पयगणं भवन्ति उबसम्गपयंनिवाय पर्यनामियपयं यक्वाइयं पमिनायपयंचपएपएयहिकिच्च पंचल क्वाबावत्तरिमापयग गं भवति अथवेहपदं सूबालापकरूपमुपरह्यते ततस्त थारुपपदापेक्षयासंख्येवानि पदसहस्राणि भवन्ति न लक्षाः पाह* च चकित् महवा सत्तालावगपयन्ग गां संक्वेज्जाई पयसहस्माई' भवन्ति एवमुत्तरत्वापि भावनीयं मे किंत मित्यादि अथकाता नपामगदमाउपासका:याव संखिजावेढा संखिज्जासिलोगा संखिज्जायो निरुजुत्तोश्रो संखिज्जाश्रो संगहणोत्रो संखिज्जायो पडिवत्तीयोसेणं अंगठ्याए छठे अंगेदोसुयखंधाएगणवोसं अज्झयणाएगुणवीसं उद्दसणकालाएगुणवीसं समुद्दे सणकाला संखि जापय सहस्सापयग्गेणं संखिज्जा अक्खरा अणंतागमा अणंतापज्जवापरित्तांतसा अणंताथावरा सासयकडनिबद्ध सं संग्रहणी ते संग्रह अर्थनी अंगार्थपणे सं० संख्याती नि नियुक्ति ते सूत्रने विधे कहिया पणाथी थाप्या ते अर्थनो जोडियो ते नियुक्ति ते मनविशेष न जाणवा भणी जोडवो सं० संख्याती प.समासरूप पंक्ति एकचे विगाजाव दसविहरूपडिबत्ती मे ते अंग पाश्री जोईतो ए० गुण वीस उदेसाना काल ते उदेशाना भवसर ए प्रश्न ए०एगुणवीस 10 पूछियामो उत्तर समुदेसन काल नाणवो सं० संख्याता प॰पदाने समयले एतले 5 लाख 76 सश्रले ते पदको अर्थछे प०जेहयो अर्थ जुदोहीज पद जाणवो ए पदनो परिमाण 1 म अनंता प०पर्यव अक्षर ते पदार्थना पर्यायरूप भेद 50 अनंता था० थावर ते वनस्पतीना जीव माथी सा द्रव्यार्थपणि करी अविछेद पणे सासताके क० पर्याव अर्थ अथपणे अन्यथा पणि हर एवा कीया नितेस्त्र 张器杀器崇光崇器器諾諾端需諾諾米器器, 米米諾諾 采黑紫器器张諾器架牆非器業架案梁洪諾器器 भाषा For Private and Personal Use Only

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