Book Title: Nandi Sutra Tika
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Page 387
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsun Gyanmandir ***KKER** 諾諾業課業諾諾諾諾諾諾諾米諾需歌需點米米米米米米 दु:खमादौ च काले तदभावात्मपर्यवसितं तथामहापिदेहान् प्रतीत्य अनाद्यपर्यवसितं तत्र प्रवाहापेक्षया तीर्थंकरादीनामव्यवच्छेदात्तथाकालतोणमिति वाक्यालंकारे अवसर्पिणीमुत्मपिणौ च प्रतीत्यसादिसपर्यवसितं तथाझवसर्पिण्यां तिरूवव समासुसुखमदुःखमादुःखम मुखमादुःखमाकपासूत्मर्पिण्या तु हयोः समयो:रदुःखममुखमासुखमदुःखमारूपयोर्भवति न परतः ततः मादिसपर्यवमितं अब चोत्मविण्य व सर्पिणी स्वरूपचापनार्थ कालचक्र विशतिसाग रोपमकोटाकोट्टीप्रमाणं विनेयजनानुग्रहार्थं यथामूलहत्तिलतादर्शितं तथाषयमपि दर्थयामः चनारिसागरोपम कोडाकोडीउसंताईए उएगंतसुरममावल जिणेहिंसव्येहिं निहिडातीए पुरिमाणिमा तिन्नियपलियाई तरूपमाणंच तिन वगाउयाईसुद्धमपिज्जए ईभणतिसमयउवभोगपरीभोगाजम्म सरसुकय वीयजायाउ कप्पतरसम्हा उहोतिकिलेसंविणातेसिं३ तेपुग्णदसप्पयाराकष्पतरूसमणसमयकेहिं धीरेहिंविनिहिडामणोरहा पूरगाएए४ मत्तगहायर्भि गाडियंगादीव जोइचित्तंगाचित्तरसामणियंगागेहागारा अणियणाय५ मत्तगएमच्हमज्ज सुद्धमपज्ज भायणाणिभिंगेमतडियंगेसुयसंगयतुडियाणिबह प्पगाराणि 6 दीवसिंहाजोदूसनामयायनिच्च करंतिउज्जोयं चित्त गेयमलं चित्तरमाभोयणहाए 7 मणिायंगेस्पभूमगावराणि भवणाणि भवगा रुक्ष स भाइमा मुद्यस्थियवस्थाणि बहुप्पगाराणि 8 एएमय अन्वे सब नरनारिंगणाणताणमुवभोगा भक्विपुणभवरहियाइय सव्वम जिणाविति / तोतिग्निसाग रोबमकोडाकोडीउबीयरागेहिं सुसत्ति समक्खायापवाहरू वेगाधीरेहिं 10 ताएपुरिमाणमाउ दोबिउपलियाई तहमाणंच दोचेव गाउयाई आईए भणति समयब 11 उवभोगपरी भोगातेसि पियकप्पपाययेहिं तोहोति किलेसेगा विणापायं पुमाणुभावेषा 12 तोसुसम दुस्समाएपवाहरूवेण कोडि कोडीओ अयराणदोन्निसिहाजिणेहिं जितरागदोंसेहिं 13 ताएपरिमाणमाउ एगपलिब तहापमाणंच एगंच गाऊयंताए आईएभर्गति समयन्त्र : 14 उवभोगपरीभोगातेसि पियकप्पपायये हितो छोति केलेरणविणा नवरं पुग्माणुभावेण 13 सुसमदुरममावसे सेपदमजिणो धम्मनायगोभय उप्यको सुद्ध ******* * **** For Private and Personal Use Only

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