Book Title: Nandi Sutra Tika
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________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नंदी टी० 452 辦業課米器諜器器器課業鼎鼎鼎鼎鼎鼎鼎鼎鼎器 सेत्तस्चगडे तदेतत् सूत्रकृतं किंतमित्यादि अथ किं तत्स्थानं तिष्ठन्तिप्रतिपाद्यतया जीवादयः पदार्था अस्मिन्निति स्थान तथाचाह मूरिः * ठाणेण मित्यादि स्थानेन स्थानेवाणमिति वाक्यालंकारे जीवाः स्थाप्यते यथावखितखरूपप्ररूपया व्यवस्थाप्य ते प्रायोनिगद सिद्ध नवरंटंकतिछिन्न तटंटंक कूटानि पर्वतस्थोपरि सिवायतनकुटादीनि नवकूटानि शैलहिमवदादयः शिखरिणः शिखरणसमन्विताः ते च बताया उवदंसिनंति सेएवंायाएवंनाया एवंविरमायाएवंचरणकरण परूवणाआधविज्जइसेतंसुयगडे सेकिंतंटाणे हाणेग जीवाड़ा विजंति अजौवाहाविज्जति जौवाजौबाटाविज्जति ससमएठ्ठाविज्ज परसमएट्टाविज्ज ससमयपरसथट्टाविजद् लोएट्टावि / ज्जइ अलोएटाविज्जइलोयालोएडाविज्जट्टाणेणंटका कुडासेलासिहरिणोपभागकुडाइ गुहाओवागरादहानईओ आप साखाताके वली केलवाछे क० पर्याय अर्थपणे जि० जिनते श्रीवोतराग रुपजे जेभावते पदार्थने मा० सामान्य पर्थनोकहवो 50 नाम उपमादिकेकरी 50 नामउपमादिवेकरीने नि० हेतुदृष्टांते करीशिष्यने उ० उपमाते नेगमादिकनयकरीने कह्या से शिष्यए दूम सुगडंगछे तेभणीने एकदूम ना ज्ञान करीने एक दूममगडांगभण्याथी ए. एमचरण सतरीसहित क. करण 70 सतरीकरी सहित प० परुपणा असामान्यपणे कहियो कहाछे जा० यावत मे० ते एह बु• सुगडांग सवते बीजो अंग कह्यो 2 से ते एह कि० कुगात 0 सेट्ठा हाणांग मुत्रना भेद कुण: जी०जीवादिक पदार्थछे अ० अजी वादिक पदार्थ जिहां हा० स्थापीई' जी. जीव अ० अजीव विहुडू जिहां हा स्थापीई लो० लोकना भावथापीद ते लोकछतोळे अ० अलोकनुथा पयो ते अलोक भाव डा थापीर लो० लोकना भावथापीते लोकश्तोछे एभाव थापीने सखसमय जिनमतिने स्थापीये प०पर समय ते अन्यमतीने भाषा 整業業兼差兼差需紧器器器需器滤器器器器叢叢著業 For Private and Personal Use Only

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