Book Title: Nandi Sutra Tika
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsuri Gyanmandir नंदी टी. स्मापुणपढममयखंधस्म नव यंभचेरमयस्मपमाणं विचित्त अत्यनिवड्वाणिय सुत्ताधि गुरूवएसउसिं अत्योजाणियब्योति तथासंख्य यानि अक्षराणिप * दानां संख्य यावात् तथा भणंतागमा इति दूहगमा अर्थगमा रह्यते अर्थगमानामर्थपरिच्छेदा चानन्ता: एकखादेव सूत्रादतियायिमतिमेधादि * गुणानां तत्तवर्मा विशिष्टानन्तधात्मक वस्तुप्रतिपत्तिभावात् एतच्च टीकाकृतो व्याख्यानं चूर्णिकृत् पुनराह अभिधानाभिधेयवशतोगमा भवन्ति तेचान ता: अनेन च प्रकारेण ने चेदितव्याः तद्यथा सुर्यमे पाउस तेणं भगक्या एवमक्लायमिति इदंच सुधर्मा स्वामी अवस्वामिनं प्रत्यार तत्रायमर्थः श्रुतं मधाहे घायुप्मन् तेनभगवता वह्वमानस्वामिना एवमाख्यातं अथवाश्रुतमया आयुष्मदंते आयुनतो भगवतो व मानवामिनो अंतेसलीपेणमिति वाक्यालं कारे तथा च भगवता एवमाख्यातं अथवाश्रुतं मया आयुष्मता अथवा श्रुतं मया भगवत्पादारविंदयुगलमाषयता अथवा श्रुतं मया गुरुकुलवासमावसत 紫紫器蓋業兼差兼器盖業諾器業難紧紧 सौई उद्देमणकाला पंचासोई समुद्देमणकाला अटारसपयसहस्साणि पयग्ग णं संखिज्जाअक्खराअणंतागमा अणंताप साछेते शस्त्र परिग्यादिक२५ अध्ययनने विषे अनुक्रमेउदेसाइ मलेवासही। षट्च्यारचोथाया च्यारकेषटपांचमानापंच छहानाऽष्ट मातमाना एका दश११ नवमाध्ययनना एउदेसानाकाल परिवाश्रत खंधमानधया वौजे श्रुतबंध२५ तेहवि पंचासीयस मुदेसणकाला 11 बि१२ थि.१४ वि१५ * हि१६ एतले पहिला खंधना पाठअध्ययनना४४ उदेसानवमा अध्ययनना१६उदेशाएविदगयाछे तेसहित० उदेसापहिलाचुतबंधनाछे सर्व८५ उदेसा थवापं० पच्चासीसमुदेवानाकालके तेजेतला उदेसानाकाल अवसरते तेतलाज समुदेसाना अपसर जाणवा प० पठारे सहप पदनेपरिमाणेतेजिहां सुवाऽर्थनीगमामितहुई तेपद कही ये नवमाऽध्ययनना 180000 पदछे भाचारजना अट्ठारहजारपदनाथने अग्रे सं० संख्याता प० अक्खरनौलोपीनासे 米諾器米影器器業黑米糊狀类業柴柴张器器黑米米米 For Private and Personal Use Only

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