Book Title: Nandi Sutra Tika
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नंदी टी. 828 सूत्र प्रधानचार्य स्वशब्दः ततोयमर्थः सवेणकर मृत्वकृतं तयाकृतमित्यर्थः यद्यपि च सर्वमंगं सत्वरूपतयाकृतं तथापि कढिवद्यादेतदेव सूत्रकृतमुच्यते न शेष मङ्ग पाचार्यमाह स्त्रकृतेन अथवा सूत्रकृतेणमिति बाक्यालकारे लोक: सूच्यते इत्यादिनिगदसिद्धं यावत् असीयस्मकिरिया बाइसथ स्म त्यादि असोत्य * धिकस्य क्रियावादिशतस्य चतुरशी तेरक्रियावादिनां सप्तषष्टेरज्ञानिकानां द्वाविंशतो वै नयिकानां सर्वसंख्यया बयाणां विषयधिकानां पाषण्डिशतानां * व्यहं प्रतिक्षेपं कृत्वा खसमयः स्थाप्यते तत्र न करिमन्तरेण क्रियापुण्यवंधादिलक्षणासम्भवति तत: एवं परिजायतां क्रियामात्मसमवायिनी बदन्ति तच्छीलाच येते क्रियावादिनस्ते पुनरात्माद्यस्तित्वप्रतिपत्तिलक्षणे अमुनोपायेनाशीत्यधिकशतसंख्या विज्ञेया: जीवाजीवावबंधसंवरनिर्जरा पुण्यमोक्षरू वासूइज्जति ससमएसूइज्जति परसमएसजति ससमएपरसमएसूइज्जद् सूयगडेणंअसौयस्मकिरियावासयस्म चउ पदार्थ जिहां कहीये तेजीव अजीवनो विचारवो स समय जिनमतिनापोतानासिद्धांतनो विचारबु म परममयते परमतीना सिद्धांतनो विचारवो कहौ स ससमयस्खसास्त्र घ० परसमय परमास्त्र ते विडं'नोविचारकही ये सु० सुयगडांगसूबने विघे अ० असी अधिकसो 18. कि० क्रियावादीते निङ्ग वववकारीने स्वसमयस्थापी एसयी कियापद सर्व भागलि संघलेवो तेकर्मक्रियानहदू एहवाजेषदेते कियावादीते तो कियामाने एतले तेहनीप रुपणाते नय पदार्थ समुहपणि जीव 1 अजीवर जावमोक्षः० नवपदार्थछ अनेजीवआपणो सहहे एकहे जेएकलेकाले जनीपनो। एककहे नियतेजर एककहे स्वभावे४ एककहे एक पात्मासर्वव्यापीके५ एपांचनित्यशास्वता उपरिए पांचपरसास्वना उपरि१० हुमा तिम५ भाव आपण आत्रीमाथा * स्वताउपरि तिमए५ परमाथाखता उपरिएवं 20 भेद। जीवपदार्थ उपरितिम अजीव सदहतेपणि२० भेदेतिम पुन्य२० तिमपापना२० जावतभोलतत्वता भाषा 米諾諾諾諾器器器器带諾諾器器業荣諾諾諾 **WENERNEMANENEVENE2 For Private and Personal Use Only

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