Book Title: Nandi Sutra Tika
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________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsun Gyanmandir 米諾諾點器需開課開端端洲洲器端洲洲米紫米器器器 तत् अंगप्रविष्टं मरिराह अंगप्रविष्टं हादगविध प्रचत तद्यथा पाचारः सूबकृतमित्यादि अथ किं तत् पाचार इति अथ च कोयमाचार पाचार्य पार भावारणमित्यादि चरणमाचार: पाचार्य ते इति पाचारः पूर्वपुरुषाचरितो ज्ञानाद्यासेवन विधिरित्यर्थः तत्प्रतिपादको ग्रंधोप्याचार एवोच्यते बने नाचारण करणभतेन अथवा पाचारे पाधारभूतेणमिति वाक्यालंकारे त्रमणानां प्राग्निरूपित शब्दार्थानां वाह्याभ्यंतर ग्रन्दरहितानां चाह श्रमणा निग्रंथाएव भवन्ति तत्किमर्थ निग्रंथानामिति विशेषणं उच्यते शाक्यादिव्यवच्छदार्थ शाक्यादयोपि हि लोके श्रमणाव्यपदिश्यते तदुक्तं निग्रंथसकतावस गेरुय आजीवपंचहा समद्या इति तेषामाचारो व्याख्यायने तवाचारो ज्ञानाचाराद्यनेकभेद भिन्नागोचरो भिक्षाग्रहणविधिलक्षणःविनयोज्ञानादिविन यः वनयिक विनयफलं कम्बयादिशिक्षा ग्रणशिक्षा पासेवनशिक्षा च विनेयशिक्षेति चर्णिकृत् तवविनेया:शिष्याः तथाभाषासत्याअसत्यारषा चपमा पासषासत्यारूषाच चरणं बत्तादिकरणं पिण्डविशड्यादि उक्त च वयसमण धम्मसंजमवेयावच्च च बंगुत्तीउ नाणाइति यंतवकोहनिग्गलाई चरणमेयं गसुयं११ दिडिवाउयर सेकिंतंबायारेबायारेणंसमणाणंनिग थाणं आयारगोयरविणयविणय सिक्खाभासाअभा साचरणकरणजायामायावित्तौगोत्रापविनंतिमसमासोपचविहे पातंतंजहानाणायारे१ दंसणायारे चरित्ताया नाफलते विपाकवर दि० दृष्टिवाद मे. हिवेसुत्रांनो विस्तार कहेक आ० याचारङ्गते याचारतथा पाचारङ्ग स० समगसाध निग्रंथने परबादी मह कने या ज्ञानादिक५ पाचारतथा गो पांचसमिततीनगुप्तिते गोचरतथा वि विधिज्ञानादिकते विनयतेहनो फलजे वि. कर्मनोक्षय स्थानककाव सगावि० थावचजनोकरवो मि० श्रावन ग्रहणर ते शिष्याभा० भाषाबोलवानो विचार प० अभाषानो विचार च° चरणसतरीवात रिवालउक्तश्चय For Private and Personal Use Only

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