Book Title: Nandi Sutra Tika
Author(s): 
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 388
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टी. 327 紧张業兼紫紫業差職業器器業 पुस्लो सिष्यकलादंसउउसभो 15 तोदुसम सुसमचामाबावालीसावरिससहहिं सागरकोडाकोडीएगेव जिणेचि पत्तो१७ तौएपरिमाणमा पुब्यप माणे तप्यमाणं च धासंघानिहिड विमेममुत्ताउनायव्वं 18 उवभोगपरीभोगाप वरोसहिमाएहिं विन्त्र या जिणचचिवासदेवा सव्येविदूमाइयो * लीणा 18 दूगबोसमहम्माई वामाणं दूसमापूमीएल जीवियमाणुषभोगाइयाई दीसंति हायंता 20 एतोयकिलियराजीवपमाण निद्दिट्टा इय टूसमत्तिघोरा वाससहरमाई इगवीसा 21 उसप्पिणीए एसोकालविभागो जिगोहिं निहिठो एसोच्चियपडिलोमं विन्न उसप्पिग्रीएवि 22 एयंतकालचक्क सिमभागागाहटिया भणियं संखेवेशमहत्यो विसे मसुत्ताउनायव्यो 23 नोउसपिणोत्यादि नोमपि गोयं मोवसर्पियों प्रतीत्व अनाद्यपर्यवसितं महा *.विदेहेषु हिनोन्मर्पियवसर्पिणीरूपः कालसव च सदैवावस्थितं समाक्श्रुतमित्यनाद्यपर्यवसितं तथाभावतोणमिति वाक्यालंकारे यत्यनिर्दिष्ट निर्दे येकेचन यदापूङ्गिादौ जिन: प्रनप्ता जिनप्राप्ताभावाः पदार्थाः अग्धविज तित्ति प्राक्क्रत्वादास्यायंते सामान्यरूपतया विशेषरूपतया वाकय ते इत्वधैः प्रज्ञाप्य तेनामादिभेद प्रदर्शनेनाख्यायंते तेषां नामादीनां भेदा: प्रदते इत्यर्थः प्ररुप्यते नामादिभेदस्वरूप कथनेन प्रख्यायंते नामादीनां * भेदानां स्वरूपमाख्यायते इति भावार्थः यथापज्जायाणभिधेयं ठियमन्नत्य तदत्यनिरवेक्ष जास्यियंच नामं जावदव्वं च पाएणं 1 पुण तदत्वमुक्तद सप्पिणियोसप्पिणिंचपडुच्चसायं सपज्जवसिय नोउस्मपिणिनो उस्मप्पिणिंचपजुच्च आणाइयंअपज्जवसिय भावोणं आश्रौदसघोल उपचयपामे तिहां बीजा भारानी भादियको चोथा आरालागता लगेप० तेात्री मा० आदिसहित स०अंत सहितछे तेबीजे पारेया दिपंचमे अंतमशितके नोउतरतो कालपिण नो नो चढतो कालपिण नही तेमहाविदेह पाश्री सदा 34 पारा पाश्री प तेकाल भात्री सापादि 藤茶器茶器茶器紫米紫霖器兼差業兼差兼差兼器 For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512