Book Title: Nadi Darpan
Author(s): Krushnalal Dattaram Mathur
Publisher: Gangavishnu Krushnadas

View full book text
Previous | Next

Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ( ६ ) www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाडीदर्पण: । नाडीगतिमिमां ज्ञातं योगाभ्यासवदेकतः ॥ शक्यते नान्यथा वैद्य उपायैः कोटिशैरपि ॥ २५ ॥ अर्थ- वैद्यको इस नाडीकी गती जानने में समर्थहोना केवल योगाभ्यासके सदृश नाडीदेखने के अभ्यासही होसकता है, अन्य करोंडो उपायांस भी नाडी ज्ञान नहीं होता । जलस्थलनभचारिजीवानां गतिभिः सह गतयो ह्युपमीयन्ते नाडीनां भिन्नलक्षणाः ॥ २६ ॥ अर्थ - जल, स्थल, और आकाशमें विचरनेवाले जीवोंकी गति (चाल) करके भिन्न लक्षणा नाडियोंकी गति अनुमान करीजाती है, अर्थात् जलचर जीव ( जोंक, मेंडक आदि) स्थलचरजीव (सर्प, हंस, मोर आदि) और आकाश चारीजीव (लवा, वटेर, आदि) ए जैसे चलते है इनके सदृश नाडी चलती है, इनमें जिस दोपकी जैसी चाल नाडीकी लिखी है उसको उसी प्रकारकी देखकर वैद्य नाडीको वातपित्तादिककी नाडी बतावे, अन्यथा नाडीका ज्ञानहोना कठिन है || २६ ॥ कस्य कीदृग्गतिस्तत्र विज्ञातव्या विचक्षणैः ॥ अध्येतव्यं च तच्छास्त्रं सद्गुरोर्ज्ञानशादिनः ॥ २७ ॥ अर्थ- वैद्य होनेवाले प्राणीको उचित है कि उत्तम ज्ञानवान् शास्त्र के ज्ञाता गुरू मैं किस जीवकी कैसी गति है इसको सीखे और जो इसनाडी विषयके ग्रंथ है उनको पढे, किसी जगे हमने ऐसा लिखा देखा है कि दशवर्षतो वैद्यकके ग्रंथ पढे, और गुरुके आगे अनुभव (आजमायस) करे, क्योंकि यह विद्या पढनेका समय बहुत उत्तम है, इस समय ग्रंथ हे और रोगीदोनो उपस्थित है जो ग्रंथ में पढे उसको गुरुके आगे रोगी पर परीक्षा करे, यदि जो बात समझमें न आवे तो उसको उसीसमय गुरूसें पूछलेय ता संदेह निवृत्त होजावे, फिर दशवर्ष वन में रहकर बनवासियों से अर्थात् माली, काछी, भील, ग्वारिया, आदिसैं औषधका नाम और उसके गुण तथा परीक्षा सीखे तब इसको वैद्यक करनेका अधिकार होता है || २७ ॥ कल्याणमपि वारिष्टं स्फुटं नाडी प्रकाशयेत् ॥ रुजां कालिक वैशिष्टयाद्भवेत्सापि विलक्षणा ॥ २८॥ अर्थ - कल्याण (शुभ) और अरिष्ट (अशुभ) इन दोनोंको नाडी प्रत्यक्ष प्रकाशित For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108