Book Title: Nadi Darpan
Author(s): Krushnalal Dattaram Mathur
Publisher: Gangavishnu Krushnadas

View full book text
Previous | Next

Page 73
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ६० ) नाडीदर्पण: । अर्थ - जिस नाडीमेंकी प्रत्येक तडफ शीघ्रभी होय परंतु स्पन्दन संख्या न बढे किंतु एकवारही जल्दीकरे उस तृर्णगामिनी नाडीको इंग्लैंडीय वैद्य Quick कीक् ऐसा कहते है यह निर्बलताको द्योतन करती है ॥ ११ ॥ . यस्या मन्दगतिर्या च नाडी पूर्णा भवेत्तु सा । स्लोशब्दशब्दिता ज्ञेया रक्तकोपप्रकाशिनी ॥ १२ ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अर्थ - जो नाडी मंदगतिहो और परिपूर्णहो वह रुधिरकोपके प्रकाश करनेवाली माडीको इंग्लैंडीय वैद्य Slow स्लो कहते है ॥ १२ ॥ खूनकी गति के कारण नाडीके अनेक भेद है जैसें आर्योटा Poorta Water Hamr वाटर हेमर Bounding बौंडिंग Lavauering लेवरिंग Thriling Pulse थ्रिलिंग पल्स Readondled रिडवल Dierratores या डाईक्रोटस और इसीटेटआदि है । जो लहरके समान उंगलियोंको लगकर हटजावे उसको जर्किंग अर्थात् झटके दारी कहते है । किवारोंकी रिगडके माफिक आयोटा होती है । उछलनेवाली नाडीको बौडिंग कहते है, जो नाडी काँपती हो उसको थ्रिलिंगपल्स कहते है । इसीप्रकार अन्य सब नाडियोंकी गतिको बुद्धिवान् डाक्टरद्वारा और उनके ग्रंथोंसे जाननी इसजगे ग्रंथविस्तारके भय नहीं लिखी । नाडीदर्शक यंत्र । नाडी देखने के लिये अंग्रेजी डाक्टरोंने एक यंत्र निर्माण करा है उसको अंग्रेजी बोलीमें स्फिग्मोग्राफ Sphygmograph कहते है इसमें अनेक टुकडे होते है विना दृष्टिगोचर हुये उनका समझना मुसकिल है इसलिये उस यंत्रकी तसबीर जो इस नाडीदर्पणग्रंथके पिछाडी हैं उस्सें समझना उसके आवश्यक विभागों का कुछ इस जगे वर्णन करते है । अ- पटलीके चलाने और रोकनेका खूटी । क-तालील गानेकी कमानी । - नाडी कम्अधिक दववि करनेका गोलाकार चक्रविशेष | ट - कज्जल से रंजित कागज धरनेकी जगह | - चिन्हित होनेके पश्चात् जो कागज निकलता है । प - जिनसे कागजपर चिन्ह होते है वो सूई । इस यंत्र के लगानेकी यह विधि है कि जब हांतीदांतवाले स्थानको रेडियल्पर धरकर यंत्रको काम में लाते है तो नाडीकी तडफ कमानीको लगती है जिसके द्वारा सूईसें कागजपर लहरदार रेखा प्रकट होती है । कि जिनसें हृदयके घडनेका For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108