Book Title: Nadi Darpan
Author(s): Krushnalal Dattaram Mathur
Publisher: Gangavishnu Krushnadas

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Page 71
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (५८) नाडीदर्पणः । क्षुधामें, हवाके दवावमें, बेफिकरीमें, इत्यादि कारणोंसे नाडीकी गति ऐसी म्यून होजाती है कि प्रत्येक मिनटमें ६० या ३५ तकही रह जाती है । रोगावस्थाकी नाडी । रोगावस्थामें नाडीकी गति संस्था और अन्य अन्य लक्षणोंमें विशेष अंतर होताहै जैसे आगे लिखत है । ज्वर, प्रदर, वमन, विरेचन, वुहरान, इत्यादि रोगोंमें नाडी इतनी शीघ्र चलती है कि गणना करना कठिन होजाता है यदि ज्वरावस्थामें अकस्मात् नाडी मंदपडजावे तथा उसके साथ अन्य अशुभ लक्षणोंकी आधिक्यता होवे तो उसप्राणीके मस्तकमें किसीप्रकारके विघ्नंसें सत्ता या पक्षघात होकर रोगीके मरनेका भय रहता है। गति संख्याके शिवाय नाडीमें जो वृत्तान्त निश्चय होताहै, उसको आगे कहते है । नाडीकीइंग्रेजीसंज्ञा । आनन्दादितरावस्था स्वानंदापेक्षया गतेः। वेगसंख्या वईते सा नाडीन्फ्रीकेंटशब्दिता ॥१॥ अर्थ-आनंदकी अपेक्षा जिस नाडीकी संख्या अधिक वेगवान् हो उसको इंग्रेजीमें Freequent फ्रीकेंट कहते है । आनन्दादितरावस्था स्वानंदापेक्षया गत्तेः। वेगसंख्या ह्रसति सा नाडीन्क्रीकेंटशब्दिता ॥२॥ अर्थ-जिस नाडीमें आनन्दकी अपेक्षा स्पन्दन संख्या न्यून होय उसमंद चारिणी नाडीको अंग्रेजीमें Infreequent इनफ्रीकेंट कहते है । चिरकालधृतायां च नाड्यां संख्या न वर्द्धते। न वा हसति वेगस्य सा च रेग्यूलराभिधा ॥३॥ अर्य-जिस नाडीपर बहुतदेरीतक हाथवरनेपरभी कुछ न्यूनाधिक्य प्रतीत न होय उस नाडीको इंग्रेजीमें Reguler रेग्यूलर कहते हैं । चिरकालधृतायाञ्च नाडयां संख्या विवर्द्धते।। मन्दी भवति चावस्था सेरेंग्यूलरशब्दिता ॥४॥ अर्थ-जो नाडी बहुतदेरी हाथरखनेसैं कुछ न्यून्याधिक्य प्रतीत होय उस अव स्थाको डाक्टरलोग Irregular इरेग्यूलर कहते है । For Private and Personal Use Only

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