Book Title: Nadi Darpan
Author(s): Krushnalal Dattaram Mathur
Publisher: Gangavishnu Krushnadas

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Page 105
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (नाड़ीप्रकाश-३०) पताको प्राप्ति होतो वो नाड़ी चौड़ी है। और तरी की नाड़ी वह है जिसे अगुलियों में दवानेसे छीने में नरमाई मालूम हो॥ और इससे खिलाफ होय तो उस नाडी को खुश की की कहते हैं। और जिस मनुष्य के शरीर में कोई रोग नहोय उसकी नाडी राकसी चाल चलती है। ओर जो नाड़ी राक चाल पर नहीं तो उसे दोष युक्त ना डीजानना॥ और जो नाडी हिरन कीसी चाल उछलती चले उसे गि जाकी नाडी कहते हैं। ओर जो लहर की तरह से चले वो मोजी है। और कामा तुर पुरुष की और और भयभीत नाडीक्षी र चलती है। ओर मंदाग्निवाले की ओर प्रमेह वाले की नाडी चेटी की चाल चलती है। मौर स्त्रीयों की नाड़ी से पुरुषो की नाडी वल वान होती है और बच्चों की नाडी नरम चलती है। ओर जवाव सादमी की नाड़ी चोड़ाव में पोर लम्बाव में विशेष होती है। ओर वृद्ध अवस्था वाले की तथा बल हीन पुरुष कीनाडी सुस्त चलती है। अवस्थागत नाड़ी For Private and Personal Use Only

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