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(४२)
नाडीदर्पणः । यह संख्या स्त्री और पुरुष दोनोंमें समान कही है । परंतु केवल मौढावस्थामें स्त्रीकी नाडी संख्या पुरुष संख्याकी अपेक्षा अधिक अधिक अर्थात् प्रौढ पुरुषकी स्पन्दनसंख्या प्रतिपलमें २९ वार होती है । और प्रौढा स्त्रीकी संख्या ३१ वार होती है ॥ ३१ ॥ ३२॥
दशगुर्वक्षरोच्चारकालः प्राणः पडात्मकैः।।
तैः पलं स्यात्तु तत् षष्टया दण्ड इत्यभिधीयते ॥३३॥ अर्थ-एक दीर्घवर्णउच्चारण करनेमें जितना समय लगता है उसको एक मात्रा अथवा निमेष कहते है । १० मात्राका १ प्राण ६ प्राणका १ पल ६० पलका १ दंड होताहै । अतएव एक पलका साठ भाग उसमें एक भागको विपल कहतेहै उसीको मात्रा कहते है ॥ ३३ ॥
___ मतान्तरेण । स्वस्थानां देहिनां देहे वयोवस्थाविशेषतः।
प्रवहन्ति यथा नाड्यस्तत्संख्यानमिहोच्यते ॥ ३४॥ अर्थ-अब मतान्तरसे कहते है कि स्वस्थपुरुषोंके देहमें आयुकी अवस्था विशेषकरके जैसे नाडी चलती है उनकी संख्या इसग्रंथमें लिखते है ॥ ३४ ॥
सार्थद्वयपलः कालो यावद्गच्छति जन्मतः।
तावत्प्रकम्पते नाडी चत्वारिंशच्छताधिकम् ॥ ३५ ॥ अर्थ-बालकके जन्मलेनेसैं यावत् २॥ पल व्यतीत नहीं हो उतने समयमें १४० वार नाडी वारंवार कंपन होती है ॥ ३५ ॥
तदूर्व हायनं यावत्साईदयपलेन सा।
मुहुः प्रकम्पमाधत्ते त्रिंशद्वारं शतोत्तरम् ॥३६॥ अर्थ-फिर १ वर्षकी अवस्थापर्यंत बालककी नाडी २॥ पलमें १३० वार तडफती है ॥ ३६॥ - उपरिष्टादाद्वितीयात्तावत्काले शरीरिणः ।
ततः प्रकम्पते नाडी दशाधिकशतं मुहुः ॥३७॥ अर्थ-वर्ष दिनसें लेकर जबतक यह बालक दो वर्षका होताहै तावत्कालपर्यंत नाडी ढाई पलमें ११० वार वारंवार तडफती है ॥ ३७ ॥
ततस्त्रिवत्सरं व्याप्य देहिनां धमनी पुनः।
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