Book Title: Murti Puja Tattva Prakash
Author(s): Gangadhar Mishra
Publisher: Fulchand Hajarimal Vijapurwale

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Page 24
________________ ( २० ) ईश्वर सर्व व्यापक है तब जड़मूत्ति में ईश्वर की पूजा सिद्ध ही हो चुकी । काकाजी - जरा भौंह लटका कर, महाराज, श्राप तो कहते हैं कि मूर्ति-पूजा अच्छी है, मगर जब मूर्त्ति को कोई चोर चुरा कर ले जाता या कोई दुष्ट उसे तोड़ फाड़ डालता तब मूर्त्ति उस चुराने वालों को या तोड़ने फोड़ने वालों को कुछ नहीं कहती, अतः जो अपनी भी रक्षा नहीं कर सकती वह दूसरे की रक्षा क्या कर सकती ? दादाजी- खूब जोर से, वाहरे अकल मन्दों के सिरताज, बलिहारी है ऐसी बुद्धि के बौछार पर। आपको यह नहीं मालुम कि आपकी धार्मिक वैज्ञानिक वेदादि पुस्तकें बड़े काम की चीज हैं यदि उन्हें कोई चोर चुरा कर ले भागे या फाड़ डाले तो वे स्वयं अपनी रक्षा कर सकती हैं ? या उसकी रक्षा करना आपका काम है । इसलिये आप जब मूर्त्ति की रक्षा करेंगे और उसकी सेवा-पूजा करंगे तब वह आपकी रक्षा अपने सेवाजनित पुण्य फलों से अवश्य करेगी। और आपकी जो यह महाभ्रान्ति है कि मूर्ति में स्थित देव न अपनी रक्षा करते और न चुराने वालों को सजा देते, यह भी व्यर्थ की शंका है, क्योंकि बहुतेरे ऐसे आदमी हैं जो ईश्वर को कभी कभी श्रवाच्य शब्द भी कहते हैं, खरी खोटी सुनाते हैं, एवं कितने तो ईश्वर की मानते तक भी नहीं हैं, तो क्या ईश्वर स्वयं 1 Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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