Book Title: Murti Puja Tattva Prakash
Author(s): Gangadhar Mishra
Publisher: Fulchand Hajarimal Vijapurwale

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Page 89
________________ (५) . पन्थी-महात्मन् ! प्रतिमा पूजने में यदि धर्म होता तो भगवान् ने साधुपना लेकर कउिन क्रिया क्यों की? प्रतिमा को ही पूज लेते। दादाजी-महाशय, भगवान् ने दीक्षा लेते समय भी प्रतिमा पूजी है, 'शाताजी सूत्र' को देखिये और कठिन किया करना तो तीर्थंकरों का कर्तव्य है। पन्थी-महाराज, सिद्ध भगवान् निराकार है और प्रतिमा ____ साकार है, फिर यह बेमेल जोड़ा कैसा? दादाजी-सुनियेजी, और खूब ध्यान देकर सुनिये, प्रतिमा सिद्ध भगवान् की नहीं है, भगवान तो दुसरे पद में है, अरिहन्त देव की प्रतिमा प्रथम पद में है, अरिहंत देव आकार तथा प्रति हार्य सहित हैं। पंथी-कुछ विनीत होकर, महाराज हमारे माने हुये ३२ जैना गम सूत्रों में मूर्तिपूजा का साफ साफ पाठ है ? । दादाजी-हांजी, बहुत है, सुनिये-स्थानांग सूत्र के ४ स्थानाध्यन, २ उद्देस, ३०७ सूत्र में और 'समवायांग' में ३५ सूत्र में और 'भगवती सूत्र' में ३ शतक, २ उद्देश, १४४ सूत्र में और "उपासकदशांग सूत्र" में ७ अध्ययन, २ सूत्र में और "महाकल्प सूत्र" में तथा "महानिशीथ सूत्र" ३ अध्याय में और "उववाई सूत्र में १-४० सूत्र में, तथा 'रायपसेणी सूत्र' के १३६ सूत्र में और "उत्तराध्ययन निशीथ सूत्र" में अध्याय १० गाथा १७१ इत्यादि में जिन प्रतिमा की पूजा के विषय में अनेको सुदृढ़ प्रमाण उपस्थित हैं, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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