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( २७ ) काकाजी घर को गये इनके साथ गाँव के और भी कितने प्रमुख व्यक्ति थे। गाँव में जाते ही लोगों ने इन सों से पूछा कि-कहिये क्या हुआ ?। काकाजी और दादीजी में तो आज खूष प्रश्नोत्तर हुअा होगा । सब ने उत्तर में कहा कि महात्मा दादाजी बड़े ही प्राभाविक विद्वान मालूम होते हैं, उन्होंने बड़ी बड़ो युक्तियों से काकाजी के मत को खण्डन कर दिया और वेद शास्त्र के प्राचीन मतों की स्थापना करदी, यहां तक कि मूर्ति पूजा को भी उन्होंने बड़ी योग्यता से सप्रमाण तकों के द्वारा सिद्ध कर दिया है। साम हो गया था इसलिये काकाजी ने योगीराजसे यह कहकर घर पाया कि-कल मैं अपने पांचों मित्रों के साथ प्रापसे इन प्रश्नों के विषय में बातचीत करने के लिये हाजिर होऊँगा । देखो, अब कल्ह क्या होता है ?
उधर काकाजी को सारी रात नींद नहीं आई. क्योंकि जन्म भर से एक विकट पाखण्डपने को अपनाये हुये थे, वह अब दूर होना चाहता था। प्रभात होते ही काकाजी ने अपने उन पांचों ( श्रार्य, मुसलमान, इसाई, सिक्ख और जैन ) मित्रों से जाकर मिला और अपनी सारी राम कहानी कह सुनादी। मित्रोंने इन्हें खूब श्राश्वासन दिया और कहा कि-उसमें घबराने की कोई बात नहीं, हम लोग आज आपके साथ जरूर चलेंगे और जैसे बनेगा वैसे उन योगीराज दादाजी को खूब शास्त्रार्थ करके अवश्य हरायगे और हम लोग अपनी नई मानी हुई बात को ठीक ठीक सिद्ध करेंगे।
समय को श्राते-जाते देर नहीं होती। काकाजी को दादाजी के पास जाने का समय हो गया । काकाजी सभी
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