Book Title: Murti Puja Tattva Prakash
Author(s): Gangadhar Mishra
Publisher: Fulchand Hajarimal Vijapurwale

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Page 76
________________ ( ७२) हैं तो फिर उस नाम वाले की स्थापना क्यों नहीं मानते ? मौलवी-जब खुदा का कोई प्राकार ही नहीं तो उसकी मूर्ति कैसे बन सकती है ? दादाजी-आप के कुरान शरीफ में लिखा है कि-मैंने पुरुष को अपने प्राकार पर पैदा किया, इस से साबित होता है कि खुना का आकार है, और कुरान का यह तालिम है कि खुदा फरिस्तों की कतार के साथ षड़ी जगह में पायेंगे और इसके सिंहासन को पाठ फरिस्तों ने उठाये होंगे। अब अगर खुदा मूर्तिवाला नहीं है तो इसकी मूर्ति को पाठ देवों ने क्यों उठाई ? और मूर्तिमान तो श्राकार घाले को ही कहते हैं, और भी श्राप लागों का कहना है कि खुदा एगारह अर्श में सिंहासन पर बैठा हुआ है। खैर, अब श्राप यह बतलाइये कि आपने कभी हज भी किया है ? मौलवी-मैंने दो बार हज किया है, क्योंकि हज से स्वर्ग मिलता है, फिर काषाशरीफ का ज़ क्यों न करना चाहिये ? जरूर करना चाहिये। दादाजी-वहाँ पर कौनसी चीज है, जरा बतलाहये तो सी। मौलवी-हज मक्का शरीफ में होता है, वहां पर एक काला पत्थर है उसको चुम्बन करते हैं और काबा के कोट की प्रदक्षिणा करते हैं। दादाजी--क्या यह मूर्ति-पूजा नहीं है ? मौलवी-कभी नहीं ? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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